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Bangladesh Violence: बांग्लादेश हिंसा के बीच पूर्वोत्तर को दहलाने की ISI की साजिश पर बड़ा खुलासा

Bangladesh violence: बांग्लादेश में हिंसा जारी है। इसी बीच एक बड़ी जानकारी निकलकर सामने आई है कि परेश बरुआ के जरिए पाकिस्तान एकबार फिर भारत को अस्थिर करने में जुटा है। पढ़ें पूरी खबर...

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Paresh Barua is an ULFA militant.

परेश बरुआ उल्फा उग्रवादी (फोटोःX @TridentxIN)

Bangladesh violence:बांग्लादेश में 2024 से राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। उस्मान हादी की मौत के बाद हिंसा एकबार देश भर में फैल गई है। वहां अल्पसंख्यक हिंदू निशाने पर हैं। साथ ही, बांग्लादेश में बढ़ रही एंटी इंडिया सेंटीमेंट ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। इसके साथ ही, पूर्वोत्तर को लेकर एक खतरनाक प्लानिंग की खबर भी सामने निकल कर आई है।

पाकिस्तान की ISI बांग्लादेश की अस्थिरता और शेख हसीना की गैर मौजूदगी का फायदा उठाने में जुटा हुआ है। 2025 में कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हुईं। अप्रैल में 15 साल बाद विदेश सचिव स्तर की बातचीत हुई, जबकि अगस्त में पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार की ढाका यात्रा ने इतिहास रचा। अक्टूबर में पाकिस्तान के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने यूनुस से मुलाकात की, जहां व्यापार, निवेश और रक्षा सहयोग पर जोर दिया गया। अब खबर सामने आ रही है कि ISI पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े उग्रवादी नेता परेश बरुआ को बांग्लादेश में शिफ्ट कराना चाहता है।

म्यांमार चीन बॉर्डर पर अभी छिपकर बैठा है बरुआ

दरअसल, परेश बरुआ फिलहाल म्यांमार-चीन बॉर्डर के पास छिपकर बैठा है। ISI की चाहत है कि बरुआ एकबार फिर अपना ठिकाना ढाका को बनाए। जहां से वह असम सहित नॉर्थ ईस्ट में उग्रवाद को फिर से हवा दे। पूर्वोत्तर भारत में बीते कुछ सालों से उग्रवादी हिंसा में कमी आई है। मणिपुर को छोड़ दें तो अन्य सभी राज्यों में शांति कायम है। मणिपुर में भी बीते साल भर से कोई बड़ी हिंसक घटना नहीं हुई है। पाकिस्तान परेश बरुआ के जरिए पूर्वोत्तर में हिंसा की आग को हवा देना चाहता है, ताकि भारत सरकार कश्मीर के साथ-साथ पूर्वोत्तर में भी उलझी रहे।

कौन है परेश बरुआ ?

परेश बरुआ पूर्वोत्तर भारत के बड़े उग्रवादियों में से एक है। वह यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) का कमांडर इन चीफ है। 1979 में स्थापित उल्फा का लक्ष्य असम को भारत से अलग करके एक स्वतंत्र देश बनाना है। हालांकि, उल्फा का एक बड़ा धरा भारत सरकार के साथ 2023-24 में शांति समझौता कर लिया है, लेकिन परेश बरुआ ने इसे ठुकराते हुए अलगाववादी संघर्ष को जारी रखा है।

पूर्वोत्तर को दहलाने की कर चुका साजिश

यह पहली बार नहीं है कि जब चीन और पाकिस्तान बरुआ के कंधे पर बंदूक रखकर पूर्वोत्तर अस्थिर करने की साजिश रच रहे हों। साल 2001 से 2006 के दौरान जब बांग्लादेश में BNP की सरकार थी और खालिदा जिया प्रधानमंत्री थीं, उस दौरान 2004 का कुख्यात चटगांव हथियार कांड हुआ था। 10 ट्रकों में चीन निर्मित हथियार जब्त किए गए थे। जो पूर्वोत्तर में खपाए जाने थे। यह पूरी प्लानिंग बरुआ ने रची थी। बांग्लादेश की हाईकोर्ट ने चंटगांव कांड के आरोपी बरुआ को इस मामले में मौत की सजा सुनाई थी। जिसे बाद में उम्रकैद में बदला गया और फिर उसे सभी आरोपों से बरी भी कर दिया गया।

बांग्लादेश के नेता दे चुके कई बार भारत विरोधी बयान

शेख हसीना की सरकार जाने के बाद वहां के नेता कई बार भारत विरोधी बयान दे चुके हैं। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया ने पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों को "लैंडलॉक्ड" बताया और कहा कि उनका समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने बांग्लादेश को इस क्षेत्र के लिए समुद्र का "एकमात्र संरक्षक" बताया।

NCP ( नेशनल सिटीजन पार्टी) हसनत अब्दुल्ला ने भारत विरोधी बयान देते हुए कहा था कि अगर भारत बांग्लादेश को अस्थिर करने की कोशिश करता है, तो बांग्लादेश पूर्वोत्तर के अलगाववादियों को शरण देगा। सेवन सिस्टर्स को भारत से अलग कर दिया जाएगा।

मोहम्मद युनूस के करीबी मेजर जनरल (रिटायर्ड) ALM फजलुर रहमान ने कहा कि अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है, तो बांग्लादेश को पूर्वोत्तर के सात राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए। महफूज आलम ने भी बांग्लादेश में पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों को मिलाने की बात की। यही नहीं, कई मौकों पर बांग्लादेश के नेताओं ने ग्रेटर बांग्लादेश का नक्शा भी साझा किया। इसमें बिहार, बंगाल, ओडिशा और पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश का हिस्सा बताया।