
Amit Shah (Photo-IANS)
संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन विधेयकों को पेश किया। इन विधेयकों में पीएम, सीएम, केंद्रीय मंत्री या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार या हिरासत में रखने पर पद से हटाने का प्रावधान है। इस विधेयक का कांग्रेस और AIMIM ने विरोध किया। विपक्ष ने सदन में जमकर नारेबाजी भी की।
अमित शाह द्वारा तीनों बिल पेश करने के बाद हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी सांसदों ने बिल को पढ़ने के बाद बिल की कॉपी फाड़ दी और अमित शाह की ओर कागज फेंके।
AIMIM सांसद ने विधेयकों का विरोध करते हुए कहा कि यह शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन करता है। यह कार्यकारी एजेंसियों को न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद की भूमिका निभाने का अधिकार देता है। यह विधेयक अनिर्वाचित लोगों को जल्लाद की भूमिका निभाने का अधिकार देगा।
ओवैसी ने आगे कहा कि इस विधेयक की धाराओं का इस्तेमाल सरकारों को अस्थिर करने के लिए किया जा सकता है। यह विधेयक गेस्टापो बनाने के अलावा और कुछ नहीं है।
लोकसभा में गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक पेश करने के बाद अमित शाह ने कहा कि इसे संयुक्त समिति को भेजा जाना है।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा मैं इन तीनों विधेयकों को पेश किए जाने का विरोध करता हूं। यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। यह विधेयक राज्य के उन संस्थानों द्वारा राजनीतिक दुरुपयोग का रास्ता खोलता है जिनके मनमाने आचरण पर सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार आपत्ति जताई है।
कांग्रेस सांसद ने लोकसभा में कहा भारतीय संविधान कहता है कि कानून का शासन होना चाहिए और इसका आधार यह है कि जब तक आप दोषी साबित न हो जाएं, तब तक आप निर्दोष हैं। इस विधेयक से इसमें बदलाव की उम्मीद है। यह एक कार्यकारी एजेंसी के अधिकारी को प्रधानमंत्री का बॉस बनाता है।
Updated on:
20 Aug 2025 02:59 pm
Published on:
20 Aug 2025 02:27 pm
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