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Ayodhya Ram Mandir: भूकंप की इतनी तीव्रता में बहुत कुछ हो जाएगा तबाह, बचेगा रहेगा प्रभु श्रीराम का मंदिर

अयोध्या में बने रहे श्रीराम मंदिर को विशेष तकनीक से तैयार किया जा रहा है। मंदिर के नीचे 12 मीटर गहराई तक भरा पत्थरों का चूरा, ताकि हजारों साल तक प्रभु श्रीराम की गौरव गाथा गूंजती रहेगी।

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Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर ऐतिहासिक राम मंदिर का निर्माण जोरों शोरों से किया जा रहा है। मंदिर निर्माण नागर शैली शास्त्रों के अनुसार हो रही है। प्रभु श्रीराम मंदिर की मजबूती और खासियत जानकर हर कोई दंग रह जाएगा। मंदिर को इतनी मजबूती से बनाया जा रहा है कि आने वाले हजारों साल तक प्रभु श्रीराम की गौरव गाथा गूंजती रहेगी। वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है और बड़े संस्था के इंजीनियर भी इसमें अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इस मंदिर निर्माण में कहीं पर भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। इतना ही नहीं इस पर सरयू की जलधारा का भी कोई असर नहीं पड़ेगा। आइये जानते है इस प्रभु श्रीराम मंदिर की क्या क्या विशेषताएं।


392 पिलरों पर टिका है तीन मंजिला मंदिर

सत्तर एकड़ में फैले राम मंदिर परिसर में निर्माण कार्य (मंदिर सहित) की लागत दो हजार करोड़ रुपए आंकी गई है, जो और बढ़ सकती है। 392 पिलरों पर टिके तीन मंजिला मंदिर के भूतल में केवल फिनिशिंग का काम बाकी है। पहली मंजिल का 65 प्रतिशत काम हो चुका है। इस मंदिर की लंबाई 380 फिट तो चौड़ाई भी 250 फिट है और इसकी ऊंचाई 161 फीट रखी गई है।

44 दरवाजे, 18 सोने से जड़ित

तीन मंजिल में तैयार रहे है श्रीराम मंदिर के प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फिट है। इस मंदिर में 44 दरवाजे लगाए होंगे, जिसमें से 18 दरवाजे सोने से जड़ित है। मंदिर में 392 खंभे पर देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई जाएगी। साथ ही 25000 यात्रियों की क्षमता वाले एक दर्शनार्थ सुविधा केंद्र का भी निर्माण किया जा रहा है।


12 मीटर गहराई तक भरा गया है चट्टानी पत्थरों का चूरा

सरयू नदी मंदिर परिसर से करीब 400 मीटर दूर बह रही है। नदी के साथ बहकर आए रेतीले कणों के कारण यहां की मिट्टी में स्थायित्व नहीं था, इसलिए इंजीनियरों ने यहां पर पूरा आधार ही बदल दिया। मंदिर के नीचे करीब 12 मीटर तक की मिट्टी हटाकर उसकी जगह मिर्जापुर के आस-पास के चट्टानी पत्थरों के चूरे (मिट्टी) को भरा गया। इसे भरते समय विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया। 30 सेंटीमीटर की परत को 25 सेंटीमीटर तक दबाया गया। गर्भगृह के नीचे दो मीटर और गहरी खुदाई की गई। इस तरह से कुल 48 परतों में आधार को बदल गया ताकि यह भूकंप के झटकों को आसानी से सह सके।

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8 तीव्रता वाले भूकंप का भी नहीं होगा असर

श्रीराम मंदिर को बनाने में मजबूत का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। यह पूरा मंदिर पत्थर और कंक्रीट से बनाया जा रहा है। विशेष तकनीक का इस्तेमाल कर मंदिर को बनाया जा रहा है। यदि 8.0 तीव्रता से भूकंप भी आता है. तब भी मंदिर का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। मंदिर का परकोटा आयताकार बनाया जा रहा है और चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फिट होगी।

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देश-विदेश से आ रहे गिफ्ट, आभूषण-पोशाक से लेकर इत्र तक

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश-विदेश से भक्त 'गिफ्ट' भेज रहे हैं। इससे मर्यादा पुरुषोत्तम की गोलख भर गई है। इनमें आभूषण, महंगी व आकर्षक पोशाक से लेकर इत्र-परफ्यूम तक शामिल हैं। एक भक्त ने तो मंदिर के लिए 'घंटा' भेजा है। अब श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट यह सोच रहा है कि भक्त की इस भेंट को कहां और कैसे उपयोगी बनाया जाए। अभी इसे कारसेवकपुरम परिसर में हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रखा गया है। मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि इन भेंटों के संबंध में अधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन पर इसकी जानकारी दी जाएगी।

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