
Toxic firecracker waste will be destroyed in Pithampur (फाइल फोटो)
Supreme Court Decision on Firecrackers: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में दिवाली के दौरान प्रमाणित ग्रीन क्रैकर्स के उपयोग की अनुमति मांगी गई थी। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने त्योहारों के लिए अस्थायी रूप से पटाखों पर प्रतिबंध हटाने के संकेत दिए, जो दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि फिलहाल हम दिवाली के दौरान प्रतिबंध हटाने की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ग्रीन क्रैकर्स के उपयोग की अनुमति केवल तभी दी जाएगी, जब यह सुनिश्चित हो कि इससे प्रदूषण का स्तर न्यूनतम रहे। पीठ ने दिल्ली सरकार और अन्य पक्षों से इस संबंध में और जानकारी मांगी है, जिसके आधार पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के माध्यम से होगी। साथ ही केवल उन निर्माताओं को बिक्री की अनुमति होगी, जिनके पास राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) और पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) से प्रमाणन है। मेहता ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि नियमों का सख्ती से पालन हो और अवैध पटाखों की बिक्री पर रोक लगे।
26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने एनईईआरआई और पीईएसओ से प्रमाणित निर्माताओं को अस्थायी रूप से ग्रीन क्रैकर्स बनाने की अनुमति दी थी। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगले आदेश तक इन पटाखों को निषिद्ध क्षेत्रों में नहीं बेचा जा सकता। यह निर्णय दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को ध्यान में रखकर लिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसलों में भी वायु प्रदूषण को लेकर चिंता जताई है। अप्रैल 2025 में न्यायमूर्ति अभय एस ओका (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा था कि केवल 3-4 महीने के लिए पटाखों पर प्रतिबंध लगाना प्रभावी नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि ग्रीन क्रैकर्स से प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आती है, तब तक इन्हें कोई छूट नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि स्वस्थ जीवन और प्रदूषण मुक्त वातावरण हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
Published on:
10 Oct 2025 08:30 pm
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