
Bar Council of India slammed Prashant Bhushan, says, he Is Successfully Telling The World That He Is Anti-Indian, Misusing His Freedom Of Speech
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI ) ने सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को जमकर लताड़ा। BCI ने प्रशांत भूषण द्वारा 10 अगस्त को ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC)’ द्वारा आयोजित एक वेबिनार में की गई उनकी टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा है कि वो अपने बोल से दुनिया को ये बताने में सफल रहे हैं कि वो भारत विरोधी हैं। BCI ने 12 अगस्त को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि भूषण ने सभी हदें पार कर दी हैं।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI ) ने कहा, "दुर्भाग्य से, प्रशांत भूषण के सभी कथन न केवल हास्यास्पद हैं, बल्कि निंदनीय और राष्ट्र विरोधी हैं। प्रशांत भूषण जैसे लोग कभी भी नागरिक स्वतंत्रता के चैंपियन नहीं रहे हैं, बल्कि, इस तरह की हरकतें कर वो ये मैसेज देने में सफल रहे हैं कि वो भारत विरधी हैं। वास्तव में, ऐसे लोग भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं।" BCI ने कहा कि प्रशांत भूषण जैसे लोग अपने स्वार्थ के लिए सुप्रीम कोर्ट को बदनाम करने पर तुले हुए हैं।
इस प्रेस रिलीज में आगे कहा गया है कि "हम चीन या रूस जैसे देशों में प्रशांत भूषण जैसे लोगों के अस्तित्व की कल्पना नहीं कर सकते।इस तरह के बयान देकर, हमारी न्यायपालिका पर हमला कर भूषण जैसे व्यक्ति सोचते हैं कि वे जजों को आतंकित करने में सफल होंगे, लेकिन ये सुप्रीम कोर्ट के जजों को सोचना है कि क्या इस तरह की कुरीतियों को प्रोत्साहित किया जाए।"
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बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन वरिष्ठत वकील मनन कुमार मिश्रा ने स प्रेस रिलीज में आगे कहा, "एक मजबूत बार का मतलब ये नहीं है कि सदस्य मौजूदा या पूर्व जजों के खिलाफ गाली देने या कुछ भी बोलने के लिए स्वतंत्र हैं।"
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने लिखा कि "आप किसी भी आलोचना कर सकते हैं लेकिन, आप लक्ष्मण रेखा को पार नहीं कर सकते और न ही शब्दों की मर्यादा को आप पार कर सकते हैं। वकालत के लिए दिए जाने वाले लाइसेन्स का इस्तेमाल किसी भी स्थिति में वकील के रूप में दुरुपयोग करने का अधिकार नहीं देता है।"
इसके बाद BCI ने चीफ जस्टिस और अन्य जजों को इस मामले की गंभीरता को देखने की भी बात कही और कहा कि ये समय की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में उचित एक्शन लिया जाए।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने बुधवार को इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC)’ द्वारा आयोजित एक वेबिनार में ज़ाकिया ज़ाफ़री, हिमांशु कुमार और मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) पर सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसलों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने, उनकी स्वतंत्रता से जुड़े अधिकारों का संरक्षण होने की अपनी जिम्मेदारी को त्याग दिया है। इस दौरान उन्होंने न्यायमूर्ति खानविलकर और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई जजों पर भी हमले किये थे।
Updated on:
13 Aug 2022 06:29 pm
Published on:
13 Aug 2022 06:22 pm
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