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अपार्टमेंट में छिपे सेक्स स्कैंडल और ड्रग्स के खेल का सनसनीखेज खुलासा, ऐसे छूट जाते थे मुजरिम

Bengaluru Apartment Scandal: बेंगलुरु के एक अपार्टमेंट में एसोसिएशन खुद न्याय करती थी, यौन उत्पीड़न और ड्रग्स जैसे गंभीर मामलों में जुर्माना लेकर छोड़ देती थी। पुलिस ने अब केस दर्ज कर जांच शुरू की, जो अपराधियों को संरक्षण देने का बड़ा खुलासा है।

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भारत

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MI Zahir

Dec 19, 2025

Bengaluru Apartment Scandal

बेंगलूरु के अपार्टमेंट में चल रहा था जुर्म का खेल। ( प्रतीकात्मक फोटो: AI Gnerated)

Bengaluru Apartment Scandal: एक ​है बेंगलुरु का चमकदार आलीशान अपार्टमेंट, नाम है प्रोविडेंट सनवर्थ। बाहर से देखो तो स्वर्ग लगता – हरा-भरा गार्डन, स्विमिंग पूल व जिम सब कुछ। लेकिन अंदर की कहानी? अरे भाई, वो तो रोंगटे खड़े कर देने वाली है। यहां रहते थे देश भर से आए जवान लड़के-लड़कियां, खासकर स्टूडेंट्स। रंगीन पार्टी होती रहती, रातें लंबी, और राज़ गहरे (Bengaluru Apartment Scandal)। सबसे पहले आता है सेक्स का किस्सा। अपार्टमेंट में एक लड़की थी, नाम रखते हैं रिया। वो नई-नई आई थी, पढ़ाई के लिए। एक रात पार्टी में मिली एक लड़के से, नाम था विक्की। दोनों नशे में धुत्त, बातें हुईं, हंसी-मजाक, और फिर वो कमरे में चले गए। लेकिन अगले दिन रिया को लगा कि कुछ गलत हुआ। उसने शिकायत की एसोसिएशन वालों (Illegal Justice System) से – वो बड़े-बड़े अंकल-आंटी जो सोसाइटी चलाते थे। पुलिस के पास जाने की बजाय, उन्होंने कहा, "अरे बेटी, हम संभाल लेंगे।" फिर क्या? विक्की को बुलाया, बंद कमरे में पूछताछ। "गलती हो गई भाई, माफ कर दो।" एसोसिएशन ने अपना नियम निकाला – 20 हजार रुपये जुर्माना! विक्की ने पैसे दिए, मामला खत्म। रिया को कहा गया, "चुप रहो, बदनामी होगी।" ऐसे कितने किस्से दब गए।

लड़कियां रोती रह जातीं, आरोपी मुस्कुराते हुए घूमते

एक नौकरानी के साथ छेड़छाड़ हुई, वो भी जुर्माने से रफा-दफा। यौन उत्पीड़न के मामले, जहां लड़कियां रोती रह जातीं, लेकिन आरोपी मुस्कुराते हुए घूमते। एसोसिएशन बन गई थी खुद की कोर्ट – न न्याय, न सजा, बस पैसे का खेल। सिक्योरिटी वाले टाइको कंपनी के गार्ड भी इसमें साथ देते, चुपके से सबकुछ मैनेज करते।

यहां स्टूडेंट्स गांजा, कोकीन लाते थे

अब आता है ड्रग्स का अंधेरा किस्सा। अपार्टमेंट में रातें होती थीं वाइल्ड पार्टियां। स्टूडेंट्स गांजा, कोकीन, क्या-क्या नहीं लाते। एक लड़का पकड़ा गया, उसके कमरे से ड्रग्स मिली। पुलिस को खबर होनी थी, लेकिन नहीं। एसोसिएशन ने फिर अपना कानून चलाया। "भाई, गलती मत दोहराना," कह कर 25 हजार रुपये फाइन ठोक दिया। एक पार्टी में 10 लड़के पकड़े गए, सबने मिल कर 50 हजार दिए, और मामला ठंडा। पिछले कुछ महीनों में लाखों रुपये वसूल हुए सिर्फ ड्रग्स के नाम पर।

सिक्योरिटी गार्ड्स भी खेल में शामिल

आरोपी खुश – न पुलिस का डर, न जेल की हवा। पीड़ित चुप – क्योंकि एसोसिएशन कहती, "हमारा अपार्टमेंट, हमारे नियम।" सिक्योरिटी गार्ड्स सब देखते, लेकिन रिपोर्ट नहीं करते, क्योंकि वो भी इस खेल में हिस्सेदार थे । अब अपार्टमेंट बन गया था अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना। छोटी चोरी हो, ड्रग्स पार्टी हो, या यौनाचार – सब जुर्माने से साफ।
लेकिन किस्सा यहां खत्म नहीं हुआ। एक दिन पुलिस को भनक लगी। दक्षिण-पश्चिम की डीसीपी अनिता मैडम ने जांच करवाई। तब सारा काला खेल पता चला । फिर क्या, कुंबलगोडु पुलिस ने केस ठोक दिया – एसोसिएशन और टाइको सिक्योरिटी पर। धाराएं लगीं गंभीर, एनडीपीएस एक्ट भी। अब जांच चल रही है, राज़ खुल रहे हैं।

कानून ने अपने लंबे हाथ बताए तो राज खुला

बहरहाल, यह किस्सा बताता है कि चमक के पीछे कितना अंधेरा छिपा होता है। अपार्टमेंट वाले सोचते थे, अपना न्याय चलेगा, लेकिन कानून तो कानून है। अब वो पछता रहे होंगे। moral? अपराध छिपाओ मत, पुलिस को बताओ। वरना एक दिन किस्सा सबके सामने आ ही जाता है।