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मई-जून महीने में खेत में नहीं होता है काम इसलिए किसान करते अपराध, बयान पर बवाल के बाद अब Bihar ADG ने मांगी माफी

बिहार के एडीजी कुंदन कृष्णन ने अपने विवादित बयान के लिए माफी मांग ली है, जिसमें उन्होंने प्रदेश में बढ़ते अपराध के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसानों का अपमान करने का नहीं था और वे खुद खेती से जुड़े हुए हैं। उनका बयान गलत तरीके से पेश किया गया था

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पटना

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Mukul Kumar

Jul 20, 2025

बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) कुंदन कृष्णन। फोटो- एक्स/बिहार पुलिस

बिहार में पिछले कुछ दिनों में लगातार कई हत्याएं हुईं हैं। प्रदेश में बढ़ते अपराध के लिए बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) कुंदन कृष्णन ने किसानों को जिम्मेदार ठहराया था। अब उन्होंने अपने बयान को लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली है।

बिहार पुलिस के आधिकारिक एक्स हैंडल पर एडीजी का एक वीडियो जारी किया गया है। जिसमें अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कृष्णन कह रहे हैं कि उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया गया। उनका किसानों को अपराध से जोड़ने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने कहा कि अपराध अपराधी करते हैं और उनका कोई धर्म या जाति से मतलब नहीं होता है।

मेरे बयान को तोड़-मड़ोड़कर पेश किया गया- एडीजी

एडीजी कृष्णन ने कहा कि मेरे बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, जिससे विवाद पैदा हो गया। मेरा यह कहने का कोई मतलब नहीं था कि हमारे किसानों का राज्य और देश में हो रहे अपराधों से कोई लेना-देना है। वे हमेशा सम्माननीय हैं और रहेंगे।

उन्होंने कहा कि मेरे पूर्वज भी किसान थे, इसलिए मेरे किसानों से खासकर मेरे गांव के किसानों से गहरे संबंध हैं। मैं किसानों का सम्मान करता हूं, लेकिन फिर भी अगर मेरे बयानों से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं खेद व्यक्त करता हूं और माफी मांगता हूं।

एडीजी को करना पड़ा था भारी आलोचना का सामना

बता दें कि बढ़ती आपराधिक घटनाओं को किसानों से जोड़ने वाले उनके बयान ने भारी विवाद खड़ा कर दिया था। उन्हें चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा।

16 जुलाई को, उन्होंने कहा था कि हाल ही में, पूरे बिहार में बहुत सारी हत्याएं हुई हैं। ज्यादातर हत्याएं अप्रैल, मई और जून के महीनों में होती हैं। यह सब बारिश आने तक जारी रहता है, क्योंकि ज्यादातर किसानों के पास इस समय कोई काम नहीं होता।

उन्होंने आगे कहा था कि बारिश के बाद, किसान समुदाय के लोग व्यस्त हो जाते हैं और घटनाएं कम हो जाती हैं। इसलिए हमने इसी महीने एक नया प्रकोष्ठ बनाया है। उस प्रकोष्ठ का काम सभी पूर्व शूटरों और सुपारी किलरों का डेटाबेस तैयार करना और उन पर नजर रखना होगा।