
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Photo - IANS)
Bihar Elections: बिहार में इस साल के अंत में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशासनिक मोर्चे पर बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में व्यापक स्तर पर अधिकारियों का तबादला किया है। इस फेरबदल में 6 आईपीएस, 12 आईएएस और 36 अनुमंडलों में एसडीओ स्तर के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर शामिल हैं। माना जा रहा है कि इन बदलावों का उद्देश्य चुनावी तैयारियों को चुस्त-दुरुस्त करना और प्रशासनिक मशीनरी को चुस्ती से संचालित करना है।
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, बिहार पुलिस सेवा के 2012 बैच के अधिकारी, जो अब तक आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के एसपी के रूप में पटना में तैनात थे, उन्हें राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो (SCRB) का एसपी नियुक्त किया गया है। वहीं, आईपीएस राकेश कुमार सिन्हा को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो का एसपी बनाया गया है। वे पूर्व में लोकायुक्त कार्यालय में एसपी के पद पर कार्यरत थे।
वहीं प्रशासनिक सेवा में बड़ा बदलाव करते हुए सरकार ने 12 आईएएस अधिकारियों का तबादला किया है। इनमें से कई अधिकारी पहले एसडीओ के पद पर तैनात थे, जिन्हें अब उप विकास आयुक्त (डिप्टी डेवलपमेंट कमिश्नर) के रूप में पदस्थापित किया गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार विकास कार्यों को गति देना चाहती है ताकि चुनाव पूर्व विकास कार्यों का लाभ वोटबैंक तक पहुंच सके।
इसके साथ ही राज्य के 36 अनुमंडलों में नए उपविभागीय पदाधिकारियों (एसडीओ) की नियुक्ति की गई है। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि सभी अधिकारियों को अगले आदेश तक के लिए उनके नाम के समक्ष दर्शाए गए स्थान पर पदस्थापित किया गया है। माना जा रहा है कि जिन अनुमंडलों में लंबे समय से पदस्थ अधिकारी थे, उन्हें हटाकर नए अधिकारियों को जिम्मेदारी देकर प्रशासनिक निष्पक्षता सुनिश्चित की जा रही है।
इन तबादलों की पृष्ठभूमि में विपक्ष का सरकार पर निशाना साधना भी जारी है। विपक्षी दलों का आरोप है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। हाल ही में जन स्वराज के नेता प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में प्रवेश से रोके जाने की घटना भी विवादों में रही थी। इस दौरान उनकी स्थानीय कलेक्टर से तीखी बहस भी हुई थी, जिससे प्रशासनिक निष्पक्षता पर सवाल उठे थे।
विपक्ष का यह भी कहना है कि अधिकारियों की मनमानी और स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही की कमी के कारण आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं शिकायतों के मद्देनज़र नीतीश सरकार ने व्यापक प्रशासनिक फेरबदल कर स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की है।
बहरहाल, चुनावी साल में यह पहला बड़ा प्रशासनिक कदम है, जिससे यह साफ है कि सरकार चुनाव को लेकर गंभीर है और किसी तरह की लापरवाही या पक्षपात की स्थिति से बचना चाहती है। अब देखना यह होगा कि ये बदलाव चुनावी तैयारियों में किस हद तक मददगार साबित होते हैं और जनता को प्रशासनिक स्तर पर क्या राहत मिलती है।
Published on:
21 May 2025 12:16 pm
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