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Bihar Elections: क्या इस्लामपुर से होगा नीतीश कुमार के बेटे निशांत का सियासी डेब्यू? बदलेंगे चुनावी समीकरण?

अब तक राजनीति से दूरी बनाए रखने वाले निशांत के राजनीति में उतरने की संभावनाओं को बल तब मिला जब नालंदा से जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार ने उन्हें इस्लामपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की सलाह दी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके बेटे निशांत कुमार (Photo - INAS)

Bihar Assembly Elections: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की आहट के साथ ही सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। जहां एक ओर सभी प्रमुख दल चुनावी तैयारियों में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर एक अहम नाम चर्चा में आ गया है- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार। अब तक राजनीति से दूरी बनाए रखने वाले निशांत के राजनीति में उतरने की संभावनाओं को बल तब मिला जब नालंदा से जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार ने उन्हें इस्लामपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की सलाह दी। आइये डालते है इस्लामपुर सीट के समीकरण और सियासी हलचल पर एक नजर।

इस्लामपुर सीट पर 2020 में RJD का कब्जा

इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र नालंदा जिले की एक प्रमुख सीट है। 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राकेश कुमार रौशन ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रत्याशी को हराकर इस्लामपुर को RJD के प्रभाव वाले क्षेत्रों में शामिल कर दिया था। 2020 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में RJD ने बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दों को केंद्र में रखा था, जिसका असर इस्लामपुर जैसे इलाकों में दिखा।

इस्लामपुर सीट पर 2015 में JDU जीती

2015 के विधानसभा चुनाव में इस्लामपुर सीट पर JDU के चंद्रसेन प्रसाद ने जीत हासिल की थी। उस समय JDU, RJD और कांग्रेस मिलकर महागठबंधन का हिस्सा थे। NDA और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर में इस सीट पर JDU की जीत ने इसे नीतीश कुमार के लिए एक अहम राजनीतिक गढ़ बना दिया था। चूंकि यह इलाका नीतीश कुमार के गृह जिले में आता है, इसलिए पार्टी के लिए यह सीट विशेष महत्व रखती है।

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इस्लामपुर के जातीय समीकरण को समझिए

इस्लामपुर का जातीय समीकरण राजनीतिक दलों के लिए रणनीति तय करने में निर्णायक भूमिका निभाता है। यादव और मुस्लिम मतदाता, जो संख्या में अधिक हैं, परंपरागत रूप से RJD के पक्ष में जाते हैं। जबकि कुर्मी, दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के वोटरों का झुकाव JDU की ओर रहा है। नीतीश कुमार स्वयं कुर्मी समुदाय से आते हैं, और उनके विकास कार्यों की छवि ने उन्हें इन वर्गों में लोकप्रिय बनाया है।

तो हाईप्रोफाइल सीट बन जाएगा इस्लामपुर!

अगर निशांत कुमार इस्लामपुर से चुनाव लड़ते हैं तो यह सीट निश्चित तौर पर हाईप्रोफाइल बन जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे का चुनाव मैदान में उतरना JDU के लिए जहां एक बड़ा प्रचार हथियार होगा, वहीं RJD के लिए यह सीट को बचाने की चुनौती बन जाएगी। निशांत की सादगी, साफ छवि, और पिता नीतीश की विकास पुरुष की छवि उन्हें मतदाताओं के बीच विश्वसनीय चेहरा बना सकती है।