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Bihar SIR Row: 65 लाख वोटरों के नाम हटाए जाने पर EC ने SC में दिया जवाब, जानें क्या कहा

Bihar SIR Row: ईसी ने स्पष्ट किया कि उपरोक्त प्रक्रिया स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि आवेदक मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित या लापता नहीं है।

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पटना

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Ashib Khan

Aug 10, 2025

(Photo-X @dmbettiah)

Bihar SIR Row: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया लगातार विवाद में है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। ADR ने इस याचिका में मांग की गई थी कि प्रदेश में 65 लाख लोगों के नाम कटे है उनकी सूची जारी की जाए। इस पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। EC ने ADR की इस मांग का विरोध किया है।

EC ने क्या दिया जवाब

सुप्रीम कोर्ट में अपने जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव आयोग को मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों के नामों की कोई अलग सूची तैयार करने या साझा करने, या किसी भी कारण से किसी को भी मसौदा मतदाता सूची में शामिल न करने के कारणों को प्रकाशित करने की आवश्यकता नहीं है।

ऐसी सूची नहीं मांगी जा सकती-ईसी

हलफनामे में कहा गया है न तो कानून और न ही दिशानिर्देश ऐसे पूर्व मतदाताओं की सूची तैयार करने या साझा करने का प्रावधान करते हैं जिनका गणना प्रपत्र किसी भी कारण से गणना चरण के दौरान प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा अधिकार के रूप में ऐसी कोई सूची नहीं माँगी जा सकती।

‘मतदाता फॉर्म-6 भर सकता है’

सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में EC ने आगे कहा कि कोई भी पात्र मतदाता जिसका नाम गायब है, वह दावा और आपत्ति अवधि यानी 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच, मसौदा मतदाता सूची में शामिल होने का दावा करने के लिए घोषणापत्र के साथ फॉर्म 6 भर जमा करा सकता है। ईसी ने स्पष्ट किया कि उपरोक्त प्रक्रिया स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि आवेदक मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित या लापता नहीं है।

कोई व्यवहारिक उद्देश्य नहीं-ईसी

चुनाव आयोग ने कहा इस प्रकार, नामों की सूची के साथ नाम शामिल न करने के कारण बताने का कोई व्यावहारिक उद्देश्य नहीं है। एडीआर का यह दावा कि बिना कारण बताए, जिन व्यक्तियों के नाम मसौदा सूची से हटा दिए गए हैं, वे उचित उपाय नहीं कर पाएंगे, "गलत, भ्रामक और अस्थिर" है।

‘मौसादा सूची से बाहर होना वोटर लिस्ट से नाम हटाने के बराबर नहीं’

चुनाव आयोग के अनुसार, मसौदा सूची से किसी नाम का बाहर होना मतदाता सूची से नाम हटाने के बराबर नहीं है। चुनाव निकाय ने स्पष्ट किया कि मसौदा सूची केवल यह दर्शाती है कि मौजूदा मतदाताओं का विधिवत भरा हुआ गणना फॉर्म गणना चरण के दौरान प्राप्त हुआ है।

‘सूचियां कराई गई उपलब्ध’

हलफनामे में कहा गया है, "राज्य भर के सभी ज़िलों में ऐसी बैठकें आयोजित की गईं और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उनके ज़िला अध्यक्षों और नियुक्त बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) के माध्यम से सूचियां विधिवत रूप से उपलब्ध कराई गईं।