
Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट 2025 पेश किया है। इसमें कई अहम घोषणाएं की गईं। सीतारमण ने अपने आठवें बजट में टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी गई। इस बजट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सदस्यों ने वित्त मंत्री की जमकर तारीफ की है। वहीं, जबकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि इस बजट में कोई नया विजन नहीं दिखता। कांग्रेस सांसद का कहना है कि मोदी सरकार केवल पुराने रास्ते पर चल रही है।
निर्मला सीतारमण- मध्यम वर्ग के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा तो खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी। इससे पैसा लौटकर इकोनॉमी में ही आएगा। आयकर सीमा वृद्धि से एक करोड़ लोग कर नहीं देंगे। यह बहुत जिम्मेदार सरकार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्यम वर्ग को राहत देने के वायदे के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है।
निर्मला सीतारमण- आयकर सरलीकरण से जुड़ा विधेयक अगले सप्ताह पेश किया जायेगा।
निर्मला सीतारमण- वर्ष 2014 में आयकर की सीमा दो लाख रुपये थी जिसे अब बढ़ाकर चार लाख रुपये कर दिया गया है। इस तरह से करदाताओं की आय में दो लाख रुपये को सीधे कर मुक्त बना दिया गया है। इसके साथ ही नये कर स्लैब में किये गये बदलाव से भी करदाताओं को राहत मिलेगी और 24 लाख रुपये या उससे अधिक की आय वालों को 1.10 लाख रुपये की बचत होगी।
निर्मला सीतारमण- वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जारी बजट में 11.21 लाख करोड़ रुपये (सकल घरेलू उत्पाद का 3.1 प्रतिशत) पूंजीगत व्यय के लिए रखे गए हैं। इसमें डेढ़ लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ राज्यों की सहायता के लिए ब्याज मुक्त दीर्घावधि ऋण का प्रावधान भी किया गया है। इस बजट में पूंजीगत परिव्यय वित्त वर्ष 2019-20 की धनराशि का लगभग 3.3 गुणा है।
निर्मला सीतारमण- इस विशेष वर्ष में चुनाव हो रहे हैं और इस वजह से केंद्र सरकार और राज्य सरकारें केवल दूसरी और तीसरी तिमाही से ही निवेश, सार्वजनिक व्यय में तेजी लायी है। किसी कल्याणकारी योजनाओं के व्यय में कमी नहीं की गयी है।
निर्मला सीतारमण- बजट में 10 मुख्य क्षेत्रों पर फोकस किया गया है। ग्रामीण संपन्नता को बढ़ाना, कृषिक्षेत्र में वृद्धि। उत्पादकता को तेज करना। सभी को समावेशी विकास के रास्ते पर लेकर जाना। मेक इन इंडिया को बढ़ाना। रोजगार आधारित आर्थिक वृद्धि। एमएसएमई को समर्थन। लोगों, अर्थव्यवस्था और नवाचार में निवेश करना। ऊर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित करना। निर्यात को प्रोत्साहन देना।
चिदंबरम: यह सरकार नए विचारों से खाली है और अपने दायरे से बाहर जाने की इच्छाशक्ति नहीं रखती। यह सरकार पुराने ढर्रे पर ही चलती रहेगी, जिससे 2025-26 में 6त्न या 6.5 त्न की वृद्धि दर ही देखने को मिलेगी। यह 8 फीसदी विकास दर से बहुत दूर है, जो विकसित राष्ट्र बनने के लिए जरूरी है। साफ है कि वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री ने मुख्य आर्थिक सलाहकार की सलाह पर ध्यान नहीं दिया। सरकार एमएसएमई, स्टार्टअप्स और उद्यमियों को बढ़ावा देने के बजाय नौकरशाही के नियंत्रण को और मजबूत कर रही है।
चिदंबरम: पहले 2024-25 के मौजूदा वित्तीय प्रदर्शन पर नजर डालें। संशोधित राजस्व प्राप्तियां 41,240 करोड़ रुपए और संशोधित शुद्ध कर प्राप्तियां 26,439 करोड़ रुपए कम हुई हैं। वहीं खर्च में 1,04,025 करोड़ रुपए की कटौती की गई है, जबकि पूंजीगत व्यय में 92,682 करोड़ रुपए की कमी आई है। इससे हर क्षेत्र में नुकसान हुआ है। उदाहरण के तौर पर स्वास्थ्य में 1,255 करोड़, शिक्षा में 11,584 करोड़ और कृषि में 10,992 करोड़ का नुकसान हुआ है।
चिदंबरम: वित्तीय घाटे को 4.9 फीसदी से घटाकर 4.8 फीसदी करना कोई उपलब्धि नहीं है, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था पर भारी कीमत चुकाकर किया गया है। हमने पहले ही कहा था कि अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है, अब जो लोग इसे नहीं मानते थे, वे अब इसे महसूस करेंगे। सरकार की योजनाएं बनाने और उन्हें लागू करने की क्षमता घट रही है, यह अब स्पष्ट हो चुका है।
चिदंबरम: सरकार करदाता मध्यम वर्ग और बिहार के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रही है। इन घोषणाओं का स्वागत मध्यम वर्ग के 3.2 करोड़ करदाता और बिहार के 7.65 करोड़ मतदाता करेंगे। बाकी भारत के लिए वित्त मंत्री के पास केवल सांत्वना भरे शब्द थे, जिन्हें भाजपा सदस्यों, विशेष रूप से प्रधानमंत्री की अगुवाई में तालियों से सराहा गया।
चिदंबरम: सरकार ने अपनी ही प्रमुख योजनाओं को नजरअंदाज कर दिया। आप 2024-25 के बजट अनुमान, संशोधित अनुमान और 2025-26 के बजट प्रस्तावों को देखें। इससे साफ है कि सरकार ने अपनी ही योजनाओं पर विश्वास खो दिया है। मसलन, पोषण योजना, जल जीवन मिशन, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना आदि।
चिदंबरम: सरकार ने रेलवे के साथ अन्याय किया है। देश की विशाल आबादी की सेवा करने वाले रेलवे के लिए आवंटन बढ़ाया नहीं गया, बल्कि घटा है। 2024-25 में बजट अनुमान 2,06,961 करोड़ रुपए था। 2024-25 के लिए संशोधित बजट अनुमान 2,12,786 करोड़ रहा। वहीं 2025-26 में 2,13,552 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
चिदंबरम: रोजगार योजनाओं में धोखा किया है। पीएलआई योजना, नए रोजगार सृजन कार्यक्रम और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं पर बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन सच्चाई कुछ और है। 2024-25 का बजट अनुमान 26,018 करोड़ रुपए था, जबकि वास्तविक व्यय 15,286 करोड़ रुपए रहा। यह युवाओं के साथ धोखा है।
Updated on:
02 Feb 2025 12:19 pm
Published on:
02 Feb 2025 08:21 am
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