
भविष्य में युद्ध को जमीन, समुद्र, आकाश, अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र में एक साथ लड़ना होगा: जनरल अनिल चौहान (Photo-IANS)
CDS on Multi Domain Operation: भारत के CDS जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसने सेना की तैयारी और सेना के आगे के लक्ष्यों का संकेत दिया है। जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत को आतंकवाद रोकने और अपने पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय विवादों के कारण अल्पकालिक उच्च तीव्रता वाले संघर्षों और दीर्घकालिक संघर्षों से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।
बता दें कि यह बात चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल ने सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे में कही थी।
मीडिया के अनुसार, जनरल चौहान ने पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बिना संकेत दिया है कि भारत के दोनों पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद हैं। इसके चलते संघर्ष होने की संभावनाएं बनी रहती हैं।
जनरल चौहान ने भारत के लिए खतरे और चुनौतियों की बात करते हुए कहा कि यह दो तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे दोनों पड़ोसी देश हमारे विरोधी हैं, जिनमें से एक परमाणु हथियार संपन्न देश है, तो दूसरा परमाणु हथियारों से लैस है। इसलिए हमें उस स्तर की प्रतिरोधक क्षमता को भंग नहीं होने देना चाहिए।
जनरल चौहान ने आतंकवाद को भी भारत के लिए खतरा बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकवाद को रोकने के लिए हमें अल्पकालिक और तीव्र संघर्षों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इसकी एक मिसाल है।
साथ ही उन्होंने भूमि विवाद के संघर्षों पर भी कहा कि हमें भूमि विवादों के कारण भूमि केंद्रित दीर्घकालिक संघर्ष के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
जनरल चौहान ने आधुनिक युद्ध के बारे में भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध वर्तमान की वास्तविकता है। आधुनिक युद्ध सैन्य मामलों में तीसरी क्रांति के मुहाने पर है और इसे अभिसारी युद्ध का नाम दिया गया है।
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम, एज कंप्यूटिंग, हाइपरसोनिक, उन्नत सामग्री और रोबोटिक्स सहित कई अलग-अलग तकनीकें युद्ध की प्रकृति और स्वरूप को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह सब पहले संभव नहीं था।
साथ ही, उन्होंने कहा कि भविष्य में युद्ध को जमीन, समुद्र, आकाश, अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र में एक साथ लड़ने की रणनीति के साथ लड़ने होंगे। यह बहु-डोमेन ऑपरेशन एक विकल्प के बजाय एक आवश्यकता बन जाएगा। भविष्य में, एक डोमेन दूसरे डोमेन को प्रभावित करेगा। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी ऐसा ही हुआ था।
Published on:
23 Dec 2025 09:06 pm
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