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Chandrayaan 3 : चांद के दुर्गम इलाके में सॉफ्ट लैंडिंग के लिए ये 3 सबसे बड़ी चुनौतियां

Chandrayaan-3 landing time : भारत आज इतिहास रचने जा रहा है। चंद्रयान-3 का लैंडर आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर सॉफ्ट लैंडिंग कराएगा। चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तीन बड़ी चुनौतियों को पार करना होगा।

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Chandrayaan 3 Moon Landing

Chandrayaan 3 Moon Landing

Chandrayaan 3 Moon Landing : चंद्रयान-3 का सफल होना लगभग तय है और अब भारत इतिहास रचने के बिल्कुल करीब है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरने को तैयार है। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर चंद्रयान-3 पर टिकी हुई है। चंद्रयान-3 मिशन की लागत 600 करोड़ रुपए है। इसे 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शक्तिशाली रॉकेट एलवीएम मार्क 3 से लॉन्च किया गया था। कई चुनौतियों को पार कर भारत का यह यान चांद पर उताने जा रहे है। चंद्रयान-3 के चांद के दुर्गम इलाके में सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तीन सबसे बड़ी चुनौतियां है।


चंद्रमा का दक्षिण ध्रुव क्षेत्र दुर्गम और अंधकार में डूबा

चंद्रमा का दक्षिण ध्रुव क्षेत्र दुर्गम भाग है। उस अज्ञात अंधेरे भूभाग पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए कई चुनौतियां हैं। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर किसी भी देश को अब तक सॉफ्ट लैंडिंग में कामयाबी नहीं मिली है। इसरो ने चांद के उस हिस्से को चुना है जो अभी तक अछूता रहा है। चांद के दक्षिणी ध्रुव में सूरज की रोशनी बमुश्किल पहुंचती है। कुछ हिस्सा तो ऐसा भी है जो अरबों साल से अंधेरे में ही डूबा है। ऐसे में भारत के लिए भी चुनौती बड़ी है।

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चंद्रयान 3 के सामने ये तीन अहम चुनौतियां

पहली चुनौती
भारत चंद्रमा पर इतिहास रचने के बहुत करीब पहुंच गया है। चंद्रयान-3 के सामने पहली चुनौती लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित रखना है। क्योंकि पिछली बार ज्यादा रफ्तार के कारण लैंडर क्रैश हो गया था। ऐसे में इसरो के वैज्ञानिकों के लिए यह बड़ी चुनौती मानी जा रही है।

दूसरी चुनौती
भारत का मिशन मून आज सफल होने जा रहा है। लेकिन इससे पहले लैंडर चंद्रयान-3 के लिए दूसरी चुनौती यह है कि लैंडर उतरते समय सीधा रहे। चांद के दुर्गम इलाके में सॉफ्ट लैंडिंग के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती है।

तीसरी चुनौती
चंद्रयान-3 के लैंडर के लिए तीसरी सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उसे उसी जगह पर उतारना, जो इसरो ने चुन रखी है। आपको बता दें कि पिछली बार ऊबड़-खाबड़ जगह से टकराने के कारण भारत का चंद्रयान-2 क्रैश कर गया था।