
उपेंद्र कुशवाहा और सीएम नीतीश कुमार। (फोटो: IANS)
बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) नजदीक आते ही सियासत का पारा चढ़ने लगा है। NDA में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) 50 सीटों पर ताल ठोकने की कवायद कर रहे हैं। उधर, गठबंधन में तवज्जो नहीं मिलने से उपेंद्र (Upendra kushwaha) भी बगावती तेवर अपना सकते हैं।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इशारों-इशारों में कहा कि कुछ लोग उपेंद्र कुशवाहा को कद्दू की बत्ती समझते हैं कि उंगली दिखाएंगे और गल जाएगा। उपेंद्र कुशवाहा किसी के उंगली दिखाने से गलने वाला नहीं है, क्योंकि आपकी ताकत साथ है। पिछले अनुभव से सबक लेकर आगे के लिए रास्ता दुरुस्त रखना है। कुछ लोगों में गलतफहमी आ गई थी। हम लोग जब एक ही नाव पर सवार हैं तो अकेले उपेंद्र कुशवाहा कैसे डूबेगा? उपेंद्र कुशवाहा डूबेगा तो आप भी डूबेंगे।
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में RLP प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन औवेसी और बसपा प्रमुख मायावती ने ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बनाया था। यह गठबंधन कुछ खास नहीं कर सका था, लेकिन उपेंद्र कुशावाहा ने NDA का खेल जरूर बिगाड़ दिया था। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLP ने दिनारा और केसरिया सहित कई सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। RLP कुल 104 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और पार्टी को लगभग 2 फीसदी वोट मिले।
साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) केंद्र में रेल मंत्री थे। उस समय उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाकर सूबे में लव-कुश यानी कुर्मी-कोइरी (कुशवाहा) समीकरण को मजबूत किया। इसके बाद वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में यह प्रयोग बेहद सफल साबित हुआ। राजद के 15 साल के राज का अंत नीतीश कुमार ने किया।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने लव-कुश समीकरण के सहारे सत्ता के सिंहासन पर काबिज हैं। इस समीकरण के कारण लव (कुर्मी) को जबरदस्त फायदा मिला, लेकिन कुश (कुशवाहा) धीरे-धीऱे उनसे नाराज होते चले गए। यही वजह रही कि उपेंद्र कुशवाहा ने 2011 में राज्यसभा और जदयू से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन कर लिया। वह 2014 में जीतकर केंद्र में मंत्री बने, लेकिन 2019 के चुनाव से पहले NDA से अलग होकर महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे। हालांकि, 2024 के आम चुनाव से पहले एक बार फिर उन्होंने NDA का दामन थाम लिया। अब वह फिर बीजेपी और जदयू को आंख दिखा रहे हैं।
हाल में हुए जातीय सर्वे के मुताबिक बिहार में कुशवाहा जाति की आबादी 4.27 फीसदी है। बीजेपी (BJP) ने सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाकर कुशवाहा समुदाय को संकेत दिया है। दूसरी तरफ, राजद (RJD) की नजर भी कुशवाहा समुदाय पर है। राजद ने औरंगाबाद से सांसद अभय कुशवाहा को लोकसभा में राजद संसदीय दल का नेता घोषित किया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में अभय कुशवाहा ने बीजेपी उम्मीदवार को हराया था। नीतीश की पार्टी जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा हैं।
CSDS-लोकनीति के सर्वे के मुताबिक लव-कुश (कोइरी-कुर्मी) समुदाय ने 2024 में NDA गठबंधन को 67 फीसदी वोट दिया था, जो साल 2019 के आम चुनाव से 12 फीसदी कम है। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को लव-कुश समुदाय ने 19 फीसदी वोट किया, जो पिछले आम चुनाव से 9 फीसदी ज्यादा है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कोइरी (कुशवाहा) समुदाय ने एनडीए को 51% वोट दिया जबकि सिर्फ 16% ने महागठबंधन को वोट दिया था।
Published on:
05 Jun 2025 12:33 pm
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