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मंदिर-गुरुद्वारे में प्रवेश से इनकार करने पर ईसाई अफसर की गई नौकरी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘सेना के लिए अयोग्य’

सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त किए गए अफसर को “भारतीय सेना के लिए अनुपयुक्त” बताया।

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भारत

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Ashib Khan

Nov 25, 2025

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! ई संवर्ग के लेक्चरर्स को अब मिलेगा प्रमोशन, प्रिंसिपल पोस्टिंग अड़चन दूर...(photo-patrika)

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! ई संवर्ग के लेक्चरर्स को अब मिलेगा प्रमोशन, प्रिंसिपल पोस्टिंग अड़चन दूर...(photo-patrika)

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेना के एक ईसाई अधिकारी की याचिका पर सुनवाई की। अधिकारी को गुरुद्वारे में पूजा करने से जाने के लिए मना करने पर नौकरी से निकाल दिया था। कोर्ट ने अफसर की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि वह सेना में रहने लायक नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'सेना का अधिकारी किस तरह का संदेश दे रहा है? यह घोर अनुशासनहीनता है। उन्हें बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था। इस तरह के झगड़ालू व्यक्ति सेना में रहने के हकदार नहीं हैं।'

CJI ने कहा कि वह एक अच्छे अधिकारी हो सकते हैं, लेकिन वह भारतीय सेना के लिए अनुपयुक्त हैं। इस समय हमारी सेनाओं पर जितनी ज़िम्मेदारियाँ हैं... हम उन्हें स्वीकार नहीं करना चाहते।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि तीसरी कैवलरी रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट रहे सैमुअल कमलेसन को सैन्य अनुशासन तोड़ने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। दरअसल, उन्होंने एक ईसाई अधिकारी होने के नाते अपनी रेजिमेंट में धार्मिक परेड (मंदिर और गुरुद्वारे) में भाग लेने से इनकार कर दिया था। साथ ही उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश का पालन करने से भी इनकार कर दिया था। 

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कोर्ट में दलील दी कि अधिकारी की आस्था एकेश्वरवादी है और उन्होंने सबसे भीतरी क्षेत्र में प्रवेश करने से इनकार कर दिया क्योंकि सर्वधर्म स्थल के पास एक गुरुद्वारा और एक मंदिर है। उन्होंने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को डर था कि उन्हें अपनी आस्था के अनुसार निषिद्ध अनुष्ठान करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

हालांकि, पीठ ने इस स्पष्टीकरण को अस्वीकार्य पाया। पीठ ने कहा, "उन्होंने घोर अवमानना ​​और अनुशासनहीनता का प्रदर्शन किया है। उन्हें उनके व्यवहार के आधार पर ही बाहर निकाल दिया जाना चाहिए था।"

जवानों की भावनाओं का अपमान करने वाला था आचरण

अदालत ने कहा कि उसका आचरण उसके जवानों की भावनाओं का अपमान करने वाला था। आप एक सैन्य नेता हैं और आपकी टुकड़ी में सिख सैनिक शामिल थे। उसके इनकार का लहजा दूसरों के लिए अपमानजनक है।

पीठ ने आगे कहा कि अधिकारी ने "धार्मिक अहंकार" के चलते ऐसा किया, यहाँ तक कि पादरी की सलाह भी नहीं मानी। उसने कहा है कि वह ऐसी जगह में प्रवेश नहीं करेगा, भले ही वहाँ चर्च हो। अगर किसी सशस्त्र बल के एक सैन्य नेता का यह रवैया है, तो जितना कम कहा जाए, उतना अच्छा है।