
शशि थरूर-पीएम मोदी (Photo-IANS)
कांग्रेस नेता व केरल की तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) रूस के दौरे पर हैं। उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russian Foreign Minister Sergei Lavrov) से मुलाकात की। थरूर अपनी पुस्तक “इनग्लोरियस एम्पायर” पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री सीरीज का प्रचार करने के लिए निजी यात्रा पर रूस गए हैं। उन्होंने X पर लिखा कि मॉक्सो में प्रिमाकोव रीडिंग्स के दौरान पुराने मित्र व रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलकर अच्छा लगा। थरूर रूसी राष्ट्रपति पुतिन (Putin) से भी मिल सकते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि विदेश दौरे पर वह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वाली मुहिम को जारी रखे हुए हैं। वह विदेशी मामलों में मोदी सरकार की खुलकर तारीफ कर रहे हैं। इस कारण वह कांग्रेस (Congress) से दूर होते जा रहे हैं।
कांग्रेस के साथ शशि थरूर का रिश्ता तनावपूर्ण बना हुआ है। यह तनाव तभी से शुरू हो गया था, जब वह कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव में मल्लिकार्जुन खरगे के सामने उम्मीदवार बनकर खड़े हो गए थे। सियासी गलियारों में कहा गया कि उनका यह कदम गांधी परिवार (Gandhi Family) को रास नहीं आया।
कांग्रेस लगातार विदेशी मामलों में मोदी सरकार (Modi Government) को घेरती आई है, लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हर बार पार्टी से इतर अपनी राय मीडिया के सामने जाहिर की। उन्होंने खुलकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S JaiShankar) और मोदी सरकार की विदेश नीति की तारीफ की।
शशि थरूर ने बीते दिनों स्वीकार किया था कि उनके पार्टी नेतृत्व के साथ कुछ मतभेद हैं। यह मतभेद ऑपरेशन सिंदूर के बाद जगजाहिर हो गए। केंद्र सरकार ने थरूर को वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष रखने के लिए चुना था, जबकि कांग्रेस की तरफ से प्रस्तावित नामों की सूची में थरूर का नाम नहीं था। थरूर ने अमेरिका सहित कई देशों में मोदी सरकार की खुलकर तारीफ की और भारत सरकार का पक्ष रखा। जिससे थरूर के खिलाफ कांग्रेस के भीतर असंतोष पैदा हो गया। केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने थरूर को बीजेपी (BJP) का सुपर प्रवक्ता तक करार दे दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इशारों-इशारों में शशि थरूर पर तंज कसा था। उन्होंने शशि थरूर का बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा था कि कुछ लोगों के लिए मोदी पहले है और देश बाद में है। खरगे ने कहा कि थरूर अंग्रेजी में काफी अच्छे हैं। हमने उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी का मेंबर बनाया है। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। पूरा विपक्ष सेना के साथ खड़ा है। हमने पहले भी कहा था कि देश पहले है और पार्टी बाद में। लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि मोदी पहले है और देश बाद में। हम क्या कर सकते हैं। इसके जवाब में थरूर ने सोशल मीडिया पर एक पक्षी की तस्वीर पोस्ट की। इस तस्वीर पर लिखा था- उड़ने की परमिशन मत मांगो। पंख तुम्हारे हैं और आसमान किसी का नहीं।
शशि थरूर चार बार के लोकसभा सांसद हैं। वह केरल की राजनीति में एक्टिव होने की चाहत रखते हैं। इस मंशा के कारण उनकी केरल कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं से नहीं बनती है। राहुल गांधी के सिपहसलार माने जाने वाले केसी वेणुगोपाल से भी थरूर की अंदरखाने खींचतान चलती रहती है। वह केरल के स्थानीय नेतृत्व और गांधी परिवार के वफादारों को भले ही यह पसंद हो या न हो, थरूर राज्य के मीडिल क्लास में एक शक्तिशाली चेहरा हैं। उन्हें सभी समुदायों और जातियों का मजबूत समर्थन हासिल है।
शशि थरूर ने नीलांबुर सीट पर उपुचनाव के दौरान प्रचार के लिए नहीं बुलाए जाने का दावा किया। थरूर ने कहा कि विदेश दौरे से लौटने के बाद भी पार्टी नेतृत्व की ओर से प्रचार में शामिल होने को लेकर कोई विशेष पहल नहीं की गई। थरूर ने कहा कि जब मैं लौटा तो किसी भी नेता की ओर से कोई आग्रह नहीं आया। ना ऐसा कोई कॉल आया कि मुझे प्रचार में आना चाहिए।
हालांकि, उनके इस दावे को केरल PCC चीफ सनी जोसेफ ने खारिज कर दिया। सनी ने कहा कि थरूर का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल था। उन्होंने कहा कि थरूर ज्यादातर समय विदेश में थे, फिर दिल्ली में रहे। मुझे नहीं लगता कि वे केरल आए भी थे। उन्होंने कहा कि केरल कांग्रेस के सभी सीनियर नेताओं ने चुनाव प्रचार में सहयोग दिया।
थरूर के लिए बीजेपी में जाना आसान नहीं होगा। बीजेपी लोकसभा चुनाव में केरल में एक सीट जीतने में जरूर कामयाब रही है। उसका लोकसभा चुनाव के दौरान मत प्रतिशत भी बढ़ा है। लोकसभा में बीजेपी को 19 फीसदी वोट मिले, लेकिन थरूर की पॉलिटिक्स भी बीजेपी से अलग है। बीजेपी वहां हिंदुओं को लामबंदी करने में जुटी है, जबकि थरूर की छवि वहां एक पढ़े लिखे नेता की है। थरूर का प्रभाव केरल के शहरी इलाकों में माना जा सकता है। हालांकि, पीएम मोदी कांग्रेस सांसद शशि थरूर को पसंद करते हैं। वह संसद में थरूर की तारीफ भी कर चुके हैं। गौरतलब बात यह है कि राजनीति में सहूलियत के हिसाब से नए समीकरण बैठाए जाते हैं।
Updated on:
26 Jun 2025 02:56 pm
Published on:
26 Jun 2025 02:48 pm
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