
आखिरकार लंबे समय के बाद आज बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को राज्य में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी। सरकार की तरफ से जारी किए गए रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है। इसमें 81.99% हिन्दू, और मुस्लिम 17.70 फीसदी बताया गया है। वहीं, .31 में अन्य धर्म और किसी धर्म को नहीं मानने वाले शामिल हैं। हालांकि सरकार के इस रिपोर्ट पर अब उनके सहयोगी दल कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने ही सवाल उठा दिया और सरकार पर आंकड़ों से फेरबदल करने का आशंका जताई।
बिहार में कितने प्रतिशत सवर्ण?
बिहार सरकार के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक राज्य में सवर्णों की कुल आबादी 15.52 प्रतिशत है, जिसमें ब्राह्मण (3.63%), राजपूत (3.45%), भूमिहार (2.86) और कायस्थ (0.60%) शामिल हैं।
जाति जनगणना में हेराफेरी की गई- कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष
जाति जनगणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने सोशल मीडिया X पर बयान जारी कर कहा कि किसी भी सरकार द्वारा जाति जनगणना कराना, स्वागत योग्य कदम है। लेकिन सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दलों को जाति जनगणना प्रक्रिया को प्रभावित और हेरफेर नहीं करना चाहिए।
आज की जाति जनगणना रिपोर्ट में ऐसा प्रतीत होता है कि हेराफेरी की गई है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक अनुमान के मुताबिक बिहार में 22 प्रतिशत सवर्ण थे, लेकिन जनगणना में वह 11 प्रतिशत कैसे हो गए?
जनगणना पर सरकार ने खर्च किया 500 करोड़
गौरतलब है कि नीतीश सरकार ने राज्य में जाति आधारित गणना का आदेश पिछले साल तब दिया था, जब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह आम जनगणना के हिस्से के रूप में एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों की गिनती नहीं कर पाएगी। देश में आखिरी बार सभी जातियों की गणना 1931 में की गई थी। बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले साल दो जून को जाति आधारित गणना कराने की मंजूरी देने के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की थी।
Published on:
02 Oct 2023 08:04 pm
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