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COVID-19 3rd Wave: नीति आयोग की चेतवानी, तैयार रखें 2 लाख ICU बेड, सितंबर में रोजाना आ सकते हैं 5 लाख केस

COVID-19 3rd Wave: नीति आयोग (NITI Aayog) ने कोरोना की थर्ड वेब को लेकर चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि सितंबर में प्रतिदिन कोरोना समक्रमण के 4-5 लाख नए केस सामने आ सकते हैं। ऐसे में अभी से ही दो लाख ICU बेड्स की व्यवस्था कर रखने की जरूरत है।

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COVID-19 3rd Wave: NITI Aayog Warns To Keep 2 lakh ICU Beds Ready, 5 Lakh Cases May Registered Will In September

नई दिल्‍ली। कोरोना संक्रमण (Corona Pendamic) के खिलाफ लडा़ई के लिए तेजी के साथ टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है। वर्तमान समय में कोरोना के नए मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। लेकिन तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञ और डॉक्टर्स कोरोना की तीसरी लहर (Covid-19 Third Wave) की संभावनाओं को लेकर चेतावनी जारी कर रहे हैं।

अब नीति आयोग ने भी कोरोना की थर्ड वेब को लेकर चेतावनी जारी की है। नीति आयोग ने कहा है कि सितंबर में प्रतिदिन कोरोना समक्रमण के 4-5 लाख नए केस सामने आ सकते हैं। ऐसे में अभी से ही दो लाख ICU बेड्स की व्यवस्था कर रखने की जरूरत है।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले नीति आयोग ने पिछले साल सितंबर 2020 में दूसरी लहर से पहले अनुमान लगाया था कि गंभीर/मध्यम गंभीर लक्षणों वाले लगभग 20 फीसदी रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है। लेकिन अब जो अनुमान लगाया गया है वह पहले की अपेक्षा काफी अधिक है।

नीति आयोग (NITI Aayog) के सदस्‍य वीके पॉल ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पिछले महीने ही केंद्र सरकार को कुछ सुझाव दिए थे। उन्होंने कहा था कि तीसरी लहर में 100 मरीजों में से 100 को अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है।

हर दिन आ सकते हैं चार लाख नए केस

नीति आयोग का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर में हालात और भी अधिक खराब हो सकते हैं, इसके लिए हमें पहले से ही तैयार रहना होगा। नीति आयोग ने एक दिन में 4 से 5 लाख नए कोरोना केस दर्ज किए जाने का अनुमान लगाया है। ऐसे में जरूरी है कि अगले महीने तक दो लाख ICU बेड तैयार किए जाएं। इनमें वेंटिलेटर के साथ 1.2 लाख ICU बेड, 7 लाख बिना ICU अस्पताल के बेड (इनमें से 5 लाख ऑक्सीजन वाले बेड) और 10 लाख कोविड आइसोलेशन केयर बेड होने चाहिए।

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नीति आयोग ने यह अनुमान कोरोना की दूसरी लहर के बाद देशभर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हुए मरीजों के पैटर्न के आधार पर लगाया है। दूसरी लहर के दौरान दस राज्यों में अधिकतम 21.74 फीसदी मामले दर्ज हुए थे। इनमें से 2.2 फीसदी लोगों को आईसीयू में भर्ती किए जाने की जरूरत पड़ी थी।