scriptकोविशील्ड या कोवैक्सिन लगवाने के बाद ओमिक्रॉन से कितने सुरक्षित हैं आप? ICMR ने बताया | Covishield, Covaxin can protect against Omicron | Patrika News

कोविशील्ड या कोवैक्सिन लगवाने के बाद ओमिक्रॉन से कितने सुरक्षित हैं आप? ICMR ने बताया

locationनई दिल्लीPublished: Dec 01, 2021 01:26:28 pm

Submitted by:

Mahima Pandey

ओमीक्रॉन के खिलाफ Covaxin अन्य वैक्सीन की तुलना में अधिक प्रभावी है। यहाँ तक कि कई विशेषज्ञों का मानना है कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन Omicron से होने वाले खतरे को कम करने में सक्षम हैं। जानिए विस्तार से कैसे और क्या है डॉक्टर की राय…

covaxine_omicron.jpg
ओमीक्रॉन वायरस तेजी से फ़ाइल रहा है जिसको लेकर दुनियाभर में चिंता का माहौल है। कौनसी वैक्सीन इस वायरस पर कितनी प्रभावी होगी और क्या वैक्सीन के पूरे डोज लगवा चुके लोगों को इससे खतरा है ? ये सवाल सभी के मन में चल रहे हैं। अब इन सवालों के जवाब में ICMR ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड लगवाने वालों को एक बड़ी राहत दी है।
Covaxin अन्य वैक्सीन की तुलना में अधिक प्रभावी

ओमीक्रॉन को लेकर भले ही ज्यादा जानकारी उपलब्ध न हो परंतु इस वायरस के खिलाफ Covaxin अन्य वैक्सीन की तुलना में अधिक प्रभावी है। यहाँ तक कि कई विशेषज्ञों का मानना है कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन Omicron से होने वाले खतरे को कम करने में सक्षम हैं। ICMR के चीफ एपिडेमोलॉजिस्ट डॉक्टर समीरन पांडा के अनुसार, ‘अभी हम वैक्सीन और नए वैरिएंट के बारे में जो कुछ कह रहे हैं, वह केवल अनुमान हैं। हम वायरस और वैक्सीन के स्ट्रक्चर और फंक्शन को लेकर काफी कुछ विचार कर रहे हैं, परंतु अन्य वैक्सीन की तुलना में कोवैक्सिन की प्रभावशीलता अधिक केंद्रित है जो सीधे वायरस के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करता है।’
कैसे करता है वायरस सेल में एंट्री ?

वायरस में जब म्यूटेशन होता है तब उसके स्पाइक प्रोटीन का अमिनो एसिड प्रभावित होते हैं। वायरस के यही स्पाइक प्रोटीन स्वस्थ सेल की प्लाज्मा मेंब्रेन को तीन गुना अधिक तेजी से फ्यूज करता है। स्पाइक प्रोटीन में जो बदलाव होते हैं वो कई तरह के होते हैं। स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ वैक्सीन एंटीबॉडी बनाती है जो उसे मनुष्य के सेल में एंट्री करने से रोकता है, परंतु स्पाइक प्रोटीन में इतने सारे बदलावों की वजह से वैक्सीन की प्रभावशीलता कम हो सकती है।
कैसे वैक्सीन करते हैं काम ?

फाइजर और मॉडर्ना जैसे mRNA वैक्सीन सेल को वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए ऐसे तैयार करते हैं कि वो वायरस को एंट्री करने से रोकता है। परंतु ओमीक्रॉन के कई वैरियंट हैं और इससे सेल के लिए वायरस के हर म्यूटेशन को पहचानना आसान नहीं है।
ओमीक्रॉन में लगभग 50 म्यूटेशन हुए हैं, उनमें से कई स्पाइक प्रोटीन इसके रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन ( RBD) पर होते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डॉ समीरन पांडा ने बताया कि ‘डेल्टा वैरियंट में RBD के दो म्यूटेशन थे, जबकि इसमें 10 हैं। यदि डोमेन का स्ट्रक्चर बदलता है तो सवाल ये है कि कैसे अन्य वैक्सीन के साथ Lock एण्ड Key सिस्टम काम करेगा? ऐसे मामलों में कोवैक्सिन ब्रूस ली के हमले की तरह है जो एक समय में तीन अलग-अलग संभावित खतरनाक जगहों को टारगेट करता है।’ हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि mRNA वैक्सीन से फायदा ये है कि उन्हें वैरियंट के अनुरूप बनाने के लिए आसानी से बदला जा सकता है। कोविशील्ड के रूप में भारत में निर्मित एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भी जेनेटिक निर्देशों के जरिए ही सेल को वायरस के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ तैयार करता है।
वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने क्यों आवश्यक?

ICMR के संक्रामक रोग विभाग के पूर्व प्रमुख डॉक्टर रमन गंगाखेडकर सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि ‘हो सकता है कि ओमीक्रॉन वायरस वैक्सीन की Efficacy को कम करे, पर हम ये भी जानते हैं कि वैक्सीन ओमीक्रॉन वैरियंट के मामलों में भी हॉस्पिटल में भर्ती होने के चांस कम होंगे और मृत्यु दर भी कम करेगा। लोगों को दोनों डोज लेने की आवश्यकता है चाहे वो कोवैक्सीन लगवाए या कोविशील्ड। इसके साथ ही जो भी सावधानियां वो अब तक बरतते आए हैं उसे आगे भी बरतें। मास्क किसी भी वैरियंट से बचाव का सबसे प्रमुख हथियार है।’
बता दें कि भारत के जाने-माने महामारी वैज्ञानिक डॉ रमन गंगाखेडकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के उन 26 सदस्यों में से एक हैं जिन्हें SARS-CoV-2 जैसे वायरस की उत्पत्ति की जांच करने के लिए नियुक्त किया गया है जो महामारी का कारण बनते हैं। डॉ रमन ने बताया कि “कोरोना के नये वैरियंट ओमिक्रॉन पर वैक्सीन का असर कितना होगा, इसे समझने के लिए अभी तक पर्याप्त डेटा नहीं है। इसलिए, हमें वैक्सीन के पूरे डोज देशभर में लगाना जारी रखना चाहिए, ताकि अस्पताल में मरीजों की संख्या न बढ़े। जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है, उन्हें टीके के दो डोज लेने चाहिए और एक डोज लेने वालों को जल्द से जल्द दूसरा डोज लेनी चाहिए।” डॉ रमन ने बताया कि “दूसरी खुराक न केवल वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनायेगी, बल्कि टी कोशिकाओं (टी-लिम्फोसाइट्स) जिन्हें हम मेमोरी सेल भी कहते हैं, उन्हें भी बढ़ावा देगी।”
ओमीक्रॉन वायरस से दुनियभर में भले फिर से तीसरी वेव के खतरे को लेकर चिंता है परंतु वैक्सीन लगवाना और सावधानी बरतना ही इस महामारी से बचाव है। Covishield और Covaxin वैक्सीन कोरोना से बचाव में अधिक प्रभावी है। ऐसे में देशभर में सभी को वैक्सीन लगे सरकार पूरे प्रयास कर रही है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो