क्रिप्टो बैन की खबरों के बीच सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज कॉइनस्टोर (Coinstore) भारत में एंट्री हुई है।
आज क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में भी बढ़त देखने को मिली है। बिटकॉइन का कारोबार 57,000 डॉलर से ऊपर है।
क्रिप्टो बिल पर WazirX के फाउंडर निश्चल शेट्टी का कहना है कि सरकार यह बिल क्रिप्टो को बैन करने के लिए नहीं, बल्कि इसे रेगुलेट करने के लिए लेकर आ रही है, निवेशकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है।
क्रिप्टो करेंसी में पैसा लगाने वाले 10 करोड़ लोगों के लिए आज बड़ा दिन है। केंद्र सरकार आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में बहुप्रतीक्षित ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ पेश करने के लिए तैयार है। क्रिप्टो उद्योग एक सकारात्मक रेग्युलेशन की प्रतीक्षा कर रहा है जो कुछ प्रतिबंधों के साथ क्रिप्टो में निवेश और व्यापार की अनुमति दे सकता है। क्रिप्टो बिल को लेकर अब तक पॉज़िटिव और नेगेटिव दोनों तरह की चर्चा रही है।
क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में उछाल क्रिप्टो बिल पर WazirX के फाउंडर निश्चल शेट्टी का कहना है कि सरकार यह बिल क्रिप्टो को बैन करने के लिए नहीं, बल्कि इसे रेगुलेट करने के लिए लेकर आ रही है, निवेशकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। शायद यही कारण है कि आज क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में भी बढ़त देखने को मिली। बिटकॉइन का कारोबार 57,000 डॉलर से ऊपर है।
दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में 6 फीसदी की तेजी देखने को मिली और ये 57,699 डॉलर के पार चली गई। इसकी कीमत हाल ही में लगभग 69,000 डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। CoinGecko के अनुसार, क्रिप्टो का वैश्विक मार्केट कैपिटल अब बढ़कर 2.72 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether भी 7% से बढ़कर 4,337 डॉलर पर पहंच गई है। कॉइनडेस्क के अनुसार Dogecoin की कीमत 3% से बढ़कर 0.20 डॉलर , जबकि Shiba Inu 4% से बढ़कर 0.000039 डॉलर पहंच गई।
कॉइनस्टोर की भारत में एंट्री वहीं, क्रिप्टो बैन की खबरों के बीच सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज कॉइनस्टोर (Coinstore) भारत में एंट्री हुई है। इस सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज ने देश में अपने ऑपरेशन भी शरू कर दिए हैं।
कॉइनस्टोर (Coinstore) के मार्केटिंग हेड चार्ल्स टैन (Charles Tan) ने भारतीय बाजार में विस्तार की पर जोर देते हुए कहा, उनकी ऐप पर लगभग एक तिहाई यूजर भारत से हैं, ऐसे में भारतीय बाजार में विस्तार करना कंपनी ने को ठीक लगा। हालांकि, बैन की खबरों पर उन्होंने कहा, “पॉलिसी में थोड़े बदलाव हो सकते हैं, लेकिन कंपनी को उम्मीद है कि चीजें सकारात्मक रहेंगी। हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसीज के लिए एक हेल्थी फ्रेमवर्क प्रस्तुत करेगी।”
इसके अलावा टैन ने कहा कि कॉइनस्टोर भारत में लगभग 100 से अधिक कर्मचारी रखने की तैयारी में है और भारतीय बाजार में मार्केटिंग से लेकर हायरिंग और क्रिप्टो संबंधी प्रोडक्ट्स के साथ सर्विसेज़ के डेवलपमेंट पर लगभग 20 मिलियन डॉलर खर्च करने की योजना है।
हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी के बैन को लेकर खबरें मीडिया में देखने को मिल रही है। खासकर सरकार द्वारा लाये जा रहे बिल को लेकर चर्चा है। तो चलिए जानते हैं कि क्रिपटोकरेंसी को लेकर नए बिल में क्या प्रावधान है ? क्यों सरकार इससे जुड़े खतरे को देखते हुए इसे बैन करने पर विचार कर रही है?
बिल में क्या है ? दरअसल, भारत सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में नया बिल लाएगी। संसद में सरकार जो बिल लाने वाली है उस बिल की सूची में दसवें नंबर पर साफ साफ लिखा है कि भविष्य में आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली डिजिटल करेंसी के अलावा अन्य सभी क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इस बिल का नाम ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’, है।
इस बिल में ये भी उल्लेख किया गया है कि आरबीआई के ऑफिशल डिजिटल करेंसी के लिए एक फ्रेम वर्क तैयार किया जाएगा। इसका उद्देश्य है भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना है। हालांकि, कुछ करेंसी को रेगुलेट करने की अनुमति दी जाएगी परंतु वो कौन सी होंगी इसका उल्लेख नहीं है।
‘सार्वजनिक’ vs ‘निजी’ क्रिप्टोकरेंसी हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा अभी तक ‘निजी’ क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई परिभाषा स्पष्ट नहीं की गई है। ऐसे में यह संभावना है कि बिटकॉइन, एथेरियम और इस तरह के अन्य क्रिप्टो टोकन पर प्रतिबंध न लगे क्योंकि ये सार्वजनिक ब्लॉकचैन नेटवर्क पर आधारित हैं। इसका अर्थ है कि इन नेटवर्कों का उपयोग करके किए गए लेन-देन का पता लगाया जा सकता है। या हो सकता है निजी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में सरकार का इशारा मोनेरो और डैश की ओर हो जो उपयोगकर्ताओं के ट्रैन्सैक्शन की गोपनीयता को उजागर नहीं करता है।
पूर्ण प्रतिबंध से देश की आठ फीसदी आबादी को लगेगा तगड़ा झटका इस बिल के लागू किए जाने से भारत में क्रिप्टो करेंसी का बाजार बंद हो जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 8 फीसदी आबादी क्रिप्टो करेंसी के बाजार में निवेश करती है। इन लोगों ने क्रिप्टो करेंसी में कुल 70 हजार करोड़ रुपये निवेश किए हैं। ये निवेश एक ऐसे बाजार में किए गये हैं जिसे भारत सरकार ने मान्यता नहीं दी है, परंतु अब इनके निवेश पर प्रतिबंध लगाने की तलवार लटक रही है। निवेश करने का उद्देश्य जल्द से जल्द अमीर होने की लालसा है जिस वजह से इस बाजार ने युवाओं को सबसे अधिक आकर्षित किया है।
ये अनुमान लगाया गया था कि भविष्य में भारत के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले करीब 19 प्रतिशत लोग इस बाजार में निवेश करने की योजना बना रहे थे, जो अब इसपर एक बार फिर से विचार करने के लिए बाध्य हो गए हैं। यदि प्रतिबंध लगता है तो जिसने भी इस बाजार में निवेश किया है उसके पैसे डूब जाएंगे। इसका अर्थ है कि अगर क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगा दिया गया तो करोड़ों लोगों द्वारा निवेश किए गए 70 हजार करोड़ रुपये डूब जाएंगे।
बता दें कि दुनिया भर में अभी इस समय 7 हजार से अधिक क्रिप्टो करेंसी चलन में हैं, जबकि भारत में ये संख्या 4 हजार है। इनमें से 2008 में लॉन्च की गई बिटकॉइन सबसे अधिक लोकप्रिय है। बिटकॉइन की कीमत वर्ष 2010 में 75 पैसे से भी कम थी जबकि आज की तारीख में इसकी कीमत 46 लाख रुपये है। मीडिया में बैन के खबरों का प्रभाव क्रिप्टो करेंसी के बाजार पर देखने को मिल रहा है। बिटकॉइन, इथीरियम सहित सभी क्रिप्टो में गिरावट देखने को मिली है है, अकेले बिटकॉइन में ये गिरावट 29 फीसदी की देखी गई है, जबकि ये क्रिप्टो करेंसी 30 प्रतिशत तक टूटी है।
पीएम मोदी ने युवाओं को सावधान होने की दी थी सलाह पिछले हफ्ते पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित कर कहा था, ‘डाटा गवर्नन्स के लिए मानक और मापदंड बनाने की आवश्यकता है। डाटा का सुरक्षित तरीके से सीमा पार प्रवाह की भी आवश्यकता है। क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन इसका उदाहरण हैं। ये महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतान्त्रिक राष्ट्र इस पर एक साथ काम करें और ये सुनिश्चित करें कि ये गलत हाथों में न जाए जो हमारे युवाओं खराब कर सकता है।’
बता दें कि सरकार को चिंता है कि क्रिप्टो बाजार मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए रास्ते बना सकता है। इसके पीछे का कारण क्रिप्टो करेंसी का कोई रेगुलेटर न होना है और न ही कोई इसे नियंत्रित करता है। ये सब ऑटोमेटिक होता है, परंतु स्पेशल कंप्यूटर और सोफ्टवेयर के जरिए होता है। क्रिप्टो करेन्सी का कोई फिज़िकल फोर्म नहीं है, परंतु इसका डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है। ऐसे में इसे हैक करना आसान है और गैर कानूनी गतिविधियों के लिए इसका इस्तेमाल बढ़ा है। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके में इसपर कोई रोक नहीं है, परंतु की केंद्र बाँकों ने इन्हें मान्यता भी नहीं दी है।
आरबीआई कई बार भारत में क्रिप्टो के बढ़ते प्रचलन पर गंभीर चिंता जताया चुका है। आरबीआई का कहना है कि क्रिप्टो करेंसी से देश की व्यापक आर्थिक ( Macro Economic) और वित्तीय स्थिरता (Financial Stability) प्रभावित हो सकती है। आरबीआई तो इसे वर्ष 2018 में बैन तक लगा चुका है, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में बैन को हटा दिया था। हालांकि, आरबीआई ने अपनी डिजिटल करेन्सी लाने की बात कही थी और अब उसी दिशा में सरकार अपने कदम बढ़ा रही है।
क्या पूर्ण प्रतिबंध संभव है? कई विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि क्रिप्टो करेंसी केवल कंप्यूटर कोड का हिस्सा हैं, इसलिए इसे प्रतिबंधित करना कठिन है। क्रिप्टो को एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में ट्रांसफर करना पेन ड्राइव के जरिए म्यूजिक शेयर करने से जैसा है, जिसका अर्थ है कि रेगुलेटरी बैन वास्तव में लोगों की एक-दूसरे को क्रिप्टो भेजने की क्षमता को नहीं छीनेगा।
सरकार क्रिप्टो करेन्सी से जुड़े प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाती है तो इससे जुड़े ग्राहकों के लिए क्रिप्टो में व्यापार करना मुश्किल हो सकता है, परंतु पूरी तरह से रोक नहीं सकती क्योंकि इसका वैकल्पिक तरीका भी निकाला जा सकता है। हालांकि, बैन लगने के बाद भारत में इस बाजार के बढ़ने की संभावनाएँ कम हो जाएंगी। इसके अलावा बैंक और क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच लेन-देन भी बंद हो जाएगा और क्रिप्टो के ग्राहक क्रिप्टो करेंसी खरीदने के लिए अपनी स्थानीय मुद्रा को परिवर्तित नहीं कर पाएंगे।
इस बीच, भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म WazirX के सीईओ निश्चल शेट्टी ने ट्वीट कर बताया, “क्रिप्टो रेगुलेशन बिल को शीतकालीन सत्र के लिए सूचीबद्ध किया गया है। विवरण ज्यादा नहीं बदला गया है। कयास दोनों तरफ से कयास लगाए जा रहे। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि सरकार के भीतर अधिक लोग जानते हैं कि क्रिप्टो कैसे काम करता है।”