
Hazardous air pollution leads to mental sickness: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के गंभीर स्तर को लेकर अक्सर खबरें आती रहती हैं। सर्दियों में तीन से चार महीने तक दिल्ली और आसपास के इलाकों की आबोहवा सांस लेने लायक भी नहीं बचती है। वास्तविकता तो यह है कि दिल्ली में सिर्फ बारिश होने के चंद घंटों तक यहां के लोगों को शुद्ध वायु मिल पाती है। अन्यथा, यहां पूरे साल वायु की गुणवत्ता खराब ही रहती है। वायु प्रदूषण का मसला अब चिंता से भी एक कदम आगे जा निकला है। एक स्टडी के अनुसार वायु के प्रदूषण के चलते यहां के लोगों में मानसिक बीमारी ज्यादा बढ़ेगी।
ब्रिट्रिश जर्नल ऑफ साइकेट्री में हुआ खुलासा
ब्रिटेन में हुए अध्ययन के अनुसार दिल्ली और एनसीआर का प्रदूषण स्तर लोगों की मेंटल हेल्थ बिगाड़ सकता है। यहां लंबे समय तक रहने वालों में अवसाद की समस्या बढ़ सकती है। लोग अनिंद्रा और एंजाइटी के चरम तक पहुंच सकते हैं। इस स्टडी में यह चेतावनी दी गई है कि जिन लोगों को ये दिक्कतें अगर पहले से मौजूद हैं तो यह संभव है कि प्रदूषित वायु उनकी परेशानियों में और इजाफा करेगा। ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकेट्री की यह सलाह है कि इन दिक्कतों से जूझ रहे लोगों को ऐसी प्रदूषित जगहों को छोड़कर किसी बेहतर वायु गुणवत्ता वाली जगहों पर शिफ्ट कर जाना चाहिए।
प्रदूषण से आत्महत्या का भी है कनेक्शन
ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकेट्री के अनुसार जहरीली हवा को आत्महत्या के लिए उकसाती है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में हर रोज करीब 7 लोग आत्महत्या करते हैं। दिल्ली में सालाना 2,526 लोग आत्महत्या कर लेते हैं। शोधकर्ताओं की मानें तो प्रदूषित स्थानों में लंबे समय तक रहने वालों का मेंटल डिसऑर्डर गड़बड़ाने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है।
जहरीली हवा में शामिल होती हैं ये खतरनाक गैस
स्टडी में यह बताया गया है कि वायु प्रदूषण की चलते लोगों की मेमोरी खराब हो सकती है। उन्हें भूल जाने की बीमारी डिमेंशिया तक हो सकता है। वायु प्रदूषण के चलते शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं। वायु में मौजूद सल्फर डाईऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (NO2), कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO2), मिथेन (CH4) गैस इंसान के शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
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Published on:
19 Jan 2024 04:12 pm
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