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तालिबान से खतराः देश में पहली बार सभी खुफिया एजेंसियों और ATS चीफ की बैठक आज

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बॉर्डर पर आतंकी गतिविधियों के बढ़ने की पुख्ता खबरों के बीच शुक्रवार को दिल्ली में पहली बार सभी खुफिया एजेंसियों और एटीएस चीफ की इंटर-स्टेट कोऑर्डिनेशन बैठक बुलाई गई है।

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Delhi Police meeting with ATS heads and intelligence agencies after Taliban Threat

Delhi Police meeting with ATS heads and intelligence agencies after Taliban Threat

नई दिल्ली। पश्चिमी पड़ोस में अस्थिर होते हालात के चलते भारत पूरी तैयारी में जुटा हुआ है। इस कड़ी में दिल्ली में शुक्रवार को सभी खुफिया एजेंसियों और आतंकवाद विरोधी दस्ते के राज्य प्रमुखों की एक अंतर-राज्य समन्वय बैठक बुलाई गई है। यह पहला ऐसा मौका है जब केंद्र प्रशासित दिल्ली पुलिस ने इस तरह की बैठक बुलाई है।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि अन्य आतंकी संगठनों और पाकिस्तान की सहायता के बाद तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेने के बाद सीमावर्ती इलाकों में गतिविधियों के बढ़ने बारे में इनपुट मिले थे। यह बैठक बेहतर समन्वय और किसी भी अप्रिय घटना के लिए पहले से तैयारी करने में मदद मिलेगी।"

अधिकारी ने कहा, "बैठक का मकसद खुफिया इनपुट और बेहतर समन्वय के आदान-प्रदान को सुगम बनाना है।" पहली बार इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, मिलिट्री इंटेलिजेंस और अन्य खुफिया एजेंसियों की इंटर-स्टेट कोऑर्डिनेशन बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में अन्य राज्यों के 11 एटीएस प्रमुख और फील्ड ऑपरेशन के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।

आतंकवादियों के सीमा पार करने और देश में कुछ 'बड़ा' करने की योजना बनाने के बारे में खुफिया एजेंसियों को लगातार अलर्ट मिल रहे हैं। 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सरकार गिर गई और तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया और भारत पर नजर रखने वाले तालिबान के हमदर्द सक्रिय हो गए।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय खुफिया एजेंसियों के कर्मचारियों को जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में घुसपैठ करने की योजना बना रहे आतंकवादियों की आवाजाही के संबंध में पीओके क्षेत्र में सक्रिय अपने समकक्ष से खुफिया रिपोर्ट मिली है।

अगस्त के तीसरे सप्ताह के दौरान कंधार में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और तालिबान नेताओं के बीच एक बैठक के बारे में पता चलने के बाद सभी खुफिया एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। इस बैठक में तालिबान नेताओं के एक समूह ने भाग लिया, जहां जैश-ए-मोहम्मद ने 'भारत-केंद्रित' गतिविधियों में उनके समर्थन मांगा। सूत्र आगे बताते हैं कि बैठक में पाकिस्तान के राजनीतिक हालात पर भी चर्चा हुई।