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भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा का भक्त 14 जून को कर सकेंगे दर्शन

दो साल के अंतराल के बाद, भगवान जगन्नाथ के भक्तों को मंदिर के बाहर और अंदर दोनों तरफ से 12 वीं शताब्दी के मंदिर में स्नान पंडाल पर देवताओं को देखने का अवसर मिलेगा। कोरोना काल के बाद धीरे-धीरे आम जीवन सामान्य हो रहा है, तो वहीं अब भक्तों के लिए भगवान जगन्नाथ के मंदिर के पट्ट भी भक्तों के लिए खुलने के लिए तैयार है।

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कोरोना वायरस महामारी ने दो सालों के लिए मानव जीवन के सभी गतिविधियों को रोक दिया था, मगर अब धीरे-धीरे सब सामान्य होते जा रहा है, तो वहीं अब भक्तों के लिए एक अच्छी खबर भी आई है। दो वर्षों के अंतराल के बाद अब मंदिरों के पट्ट आम जनता के लिए धीरे-धीरे खोले जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब खबर आई है कि भगवान जगन्नाथ के भक्तों को मंदिर के बाहर और अंदर दोनों तरफ जाने की अनुमति मिल सकती है। बताया जा रहा है की 14 जून को भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा के भक्त दर्शन कर सकेंगे।

पुरी के गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब की अध्यक्षता में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के मुख्य प्रशासक वीवी यादव और अन्य वरिष्ठ जिला अधिकारियों ने भाग लिया। बताया जा रहा है कि भक्तों को स्नान मंडप पर निकट दूरी से दर्शन की अनुमति दी जाएगी, लेकिन वे भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों को नहीं छू सकेंगे।

मुख्य प्रशासक वीवी यादव ने कहा, "आज हुई प्रबंध समिति की बैठक की महत्वपूर्ण बैठक में स्नान यात्रा से नीलाद्री बीजे (रथ यात्रा के बाद मंदिर में भगवान का प्रवेश) तक सभी अनुष्ठानों और व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया गया।" उन्होंने कहा कि बैठक में प्रत्येक व्यवस्था पर विस्तृत चर्चा हुई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्सव के दौरान भक्तों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। आपको बता दें, स्नान यात्रा का सीधा प्रसारण किया जाएगा।

बता दें, स्नाना यात्रा को देव स्नान पूर्णिमा भी कहा जाता है जो इस वर्ष 14 जून को पड़ रही है। प्रबंध समिति के सदस्य दुर्गा दास महापात्र ने कहा कि भक्त भगवान के हाती बेशा (हाथी अत्रे) के पूरा होने के बाद स्नान बेदी पर तीन घंटे तक देवताओं के दर्शन कर सकते हैं। स्नान अनुष्ठान के दौरान देवताओं पर पवित्र जल के कम से कम 108 घड़े डाले जाएंगे।

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स्नान यात्रा के लिए अनुष्ठान के कार्यक्रम के अनुसार, जिसे बैठक में अंतिम रूप दिया गया था, देवताओं की पहंडी (जुलूस) सुबह 4 बजे शुरू होगी और सुबह 6 बजे तक समाप्त होगी। जला बीज की रस्म सुबह 9.30 से 11.30 बजे के बीच होगी। चेरा पहाड़ा अनुष्ठान दोपहर 12.15 बजे जबकि हाती बेशा अनुष्ठान दोपहर 12.30 से 2.30 बजे के बीच होगा।

गौरतलब है कि, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर भक्तों को 2020 और 2021 में दो साल के लिए रथ यात्रा और संबंधित अनुष्ठानों में भाग लेने से वंचित कर दिया गया था। राज्य सरकार ने इस बार महामारी की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार को ध्यान में रखते हुए भक्तों को उत्सव में भाग लेने की अनुमति देने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है।

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