
पश्चिम बंगाल में कोलकाता से सटे हावड़ा लोकसभा क्षेत्र में आगामी लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है। लेकिन दो कारणों से इस बार तृणमूल कांग्रेस के वर्तमान सांसद और पूर्व फुटबॉलर प्रसून बनर्जी के लिए मुकाबला कठिन होने की संभावना है।
विपक्ष का मजबूत उम्मीदवार
पहला कारण विपक्ष का मजबूत उम्मीदवार और दूसरा इलाके में तृणमूल कांग्रेस के भीतर तीव्र आंतरिक गुटबाजी है। पार्टी सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के परिवार के एक सदस्य ने बनर्जी को क्षेत्र से दोबारा टिकट दिए जाने का विरोध किया है। हावड़ा लोकसभा क्षेत्र में सभी सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के नियंत्रण वाले हावड़ा नगर निगम के पूर्व मेयर रथिन चक्रवर्ती को मैदान में उतारा है।
दूसरी ओर, सीपीआई (एम) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील सब्यसाची चटर्जी को टिकट दिया है। चुनावी राजनीति में नए, चटर्जी पश्चिम बंगाल में स्कूल में नौकरी मामले में अवैध रूप से वंचित उम्मीदवारों के पक्ष में कलकत्ता उच्च न्यायालय में सशक्त दलीले देने के कारण लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए हैं। वह पिछले कुछ चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में रहे भाजपा विरोधी वोट बैक में अच्छी खासी सेंध लगा सकते हैं, जो बनर्जी के लिए परेशानी का कारण हो सकता है।
परिवार में बगावत
उधर, मुख्यमंत्री के छोटे भाई स्वपन बनर्जी उर्फ बबुन ने हाल ही में प्रसून बनर्जी को अयोग्य उम्मीदवार बताया है। बबुन ने तो यहां तक कह दिया कि वह हावड़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप और संबंधों को तोड़ने की धमकी देने के बाद, स्वपन ने अपना रुख नरम कर लिया और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के अपने फैसले से पीछे हट गये।
प्रसून बनर्जी ने घटनाक्रम को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री का आशीर्वाद उनके साथ है तो उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस बीच, चक्रवर्ती और चटर्जी अपने अभियानों के दौरान भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बना रहे हैं। हावड़ा में 15 लाख से अधिक मतदाताओं में गैर-बंगाली भाषी मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है।
Updated on:
17 Mar 2024 02:49 pm
Published on:
17 Mar 2024 02:48 pm
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