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पहले NATO की धमकी, अब EU ने लगाया भारतीय रिफाइनरी पर बैन, आखिर भारत से क्या चाहता है पश्चिम

पश्चिमी देश भारत पर दवाब बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बीते दिनों यूरोपीय यूनियन ने भारत की एक रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ऐसे किसी भी प्रतिबंध को नहीं मानता है, जो संयुक्त राष्ट्र के दायरे के बाहर हों। माना जा रहा है कि यह प्रतिबंध भारत को रूस से दूर करने की कोशिश है।

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Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन जंग के कारण पश्चिमी देश खासकर यूरोप और अमेरिका (America) लगातार भारत (India) पर दवाब बना रहे हैं। वह भारत से रूस के साथ व्यापारिक व अन्य संबंध तोड़ने को कह रहे हैं। बीते दिनों नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO), जोकि अमेरिका और यूरोप का एक सैन्य गठबंधन है।

उसके चीफ मार्क रूट ने भारत, चीन और ब्राजील को रूस के साथ व्यापारिक संबंध को लेकर कड़ी चेतावनी दी थी। अब यूरोपीय यूनियन ने रूस पर नया प्रतिबंध भी लगाया है। इसमें गुजरात की एक तेल रिफाइनरी कंपनी भी शामिल है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय (Indian Foreign Ministry) ने कहा कि भारत ऐसे किसी भी प्रतिबंध को नहीं मानता है, जो संयुक्त राष्ट्र (united nation) के दायरे से बाहर लगाए गए हों।

EU ने लगाया रूस पर 14वां आर्थिक प्रतिबंध

दरअसल, यूरोपीय यूनियन ने रूस पर 14वां आर्थिक प्रतिबंध लगाया है। इसका मकसद रूस की आर्थिक कमर को तोड़ना है। इस बार लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध में पहली बार भारत की एक रिफाइनरी को भी निशाना बनाया गया है। यह रिफाइनरी भारतीय कंपनी नायरा एनर्जी चलाती है। गुजरात के वाडिनार में स्थित यह रिफाइनरी 2 करोड़ टन कच्चे तेल को रिफाइन करती है। इसमें रूस की कंपनी रोसनेफ्ट की करीब 49.13% हिस्सेदारी है।

रूसी-भारतीय स्वामित्व वाली रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रतिक्रिया दी है। जायसवाल ने कहा कि हमने EU के नए प्रतिबंधों को देखा है. भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता। हम जिम्मेदारी से अपने कानूनी कर्तव्यों का पालन करते हैं।

नायरा की रिफाइनरी पर लगाया प्रतिबंध

वहीं, यूरोपीय यूनियन द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों के चलते नायरा एनर्जी को डीजल और पेट्रोल जैसे उत्पादों के खरीद-बिक्री में परेशानी हो सकती है। भारत सरकार ने कहा कि देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा करना हमारी प्राथमिकता है। इसमें वैश्विक स्तर पर कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए। बता दें कि ईयू ने कच्चे तेल की कीमत की ऊपरी सीमा को घटा दिया है। इसके बाद कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 60 डॉलर से नीचे आ सकती है। इसके कारण रूसी तेल और भी सस्ते दाम में उपलब्ध होगा।

मार्क रूट ने दी भारत को चेतावनी

नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख मार्क रूट ने दो दिन पहले भारत, चीन और ब्राजील को चेताते हुए कहा था कि वह सीजफायर के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मनाएं। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर रूस ने 50 दिन के अंदर यूक्रेन से सीजफायर नहीं किया तो वह रूस के बिजनेस पार्टनर देशों भारत, चीन, ब्राजील आदि पर अतिरिक्त टैरिफ लगा देगा।

EU के साथ ट्रेड डील पर बातचीत जारी

भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत का दौर जारी है। माना जा रहा है कि भारत और ईयू इस साल के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। 11वें दौर की वार्ता 16 मई को पूरी हो गई है। डील दो चरणों में पूरी होने की उम्मीद है।

अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर बातचीत जारी

भारत और अमेरिका के बीच भी ट्रेड डील पर बातचीत जारी है। बीते बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कहा कि दोनों देशों के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है और जल्द ही व्यापार समझौते पर बात बनने वाली है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार भारत-रूस संबंध को लेकर बयान देते रहते हैं।

31 अगस्त को चीन में पुतिन से मिल सकते हैं मोदी

चीन में 31 अगस्त से दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन की समिट होने वाली है। इस समिट में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भी शामिल होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं की मुलाकात हो सकती है। हालांकि, अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।