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Exclusive: गुजरात के डांग में माता शबरी से मिले थे राम या कर्नाटक के हम्पी में? जानें सच्चाई!

गुजरात के सापूतारा में 11 साल रहे भगवान राम! पढ़ें शैलेंद्र तिवारी की रिपोर्ट

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सूरत

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Anish Shekhar

Dec 30, 2024

Shabri ke bair in Ramayan: भगवान राम 11 साल चित्रकूट में रहे या फिर गुजरात के सापूतारा में। दरअसल, दोनों ही राम को खुद से जोड़ते हैं। उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश का चित्रकूट दावा करता है कि भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ करीब साढ़े 11 साल वहां पर रहे, वहीं सापूतारा के लिए कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के 14 साल में से 11 साल यहां पर बिताए हैं। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि भगवान राम माता शबरी से गुजरात के डांग में मिले थे या फिर कर्नाटक के हम्पी में?

दरअसल, इस सवाल का जवाब जानने के लिए पत्रिका ने डांग जिले में भगवान राम से जुड़े स्थानों का करीब से जाकर देखा। सापूतारा और माता शबरी के आश्रम भी गुजरात के डांग जिले में आता है, जिसे रामायण काल में दंडकारण्य वन क्षेत्र भी माना जाता है। गुजरात सरकार की आधिकारिक डांग जिले की वेबसाइट यह दावा करती है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान 11 साल सापूतारा क्षेत्र में रहे। गुजरात सरकार का दावा है कि डांग जिले के सुबीर गांव में माता शबरी से मिलने भगवान राम खुद आए थे। यहां पर वह शिलाएं गर्भगृह में हैं, जिन पर भगवान राम, लक्ष्मण बैठे थे और तीसरी शिला पर खुद माता शबरी ने बैठकर राम को बेर खिलाए थे। इसी घटना को कर्नाटक के हम्पी के पास बने पंपा सरोवर के करीब होने का दावा भी किया जाता है।

पंपा सरोवर पर मतंग ऋषि का आश्रम

रामायण में जिक्र है कि दंडकारण्य क्षेत्र के पंपा सरोवर के पास ऋषि मतंग का आश्रम था और वहीं पर माता शबरी रहती थीं। सुबीर गांव के पास में ही पंपा सरोवर है, जिसे मतंग ऋषि के आश्रम से जुड़ा बताया जाता है। इतना ही नहीं, भगवान राम जब माता सीता की खोज में पंचवटी नासिक से निकले थे तो उन्होंने ऋषि शरभंग से मुलाकात की थी, वह जगह उन्हई भी सुबीर गांव के पास में है।

क्यों डांग का दावा मजबूत

- दंडकारण्य क्षेत्र का मुख्य हिस्सा, जहां भगवान राम के लंबे समय रहने का जिक्र

- पंचवटी, नासिक से माता सीता का अपहरण रावण ने किया था

- पंचवटी से कुछ घंटे की दूरी पर है सुबीर गांव, जहां शबरी धाम

- ऋषि मतंग से जुड़ा हुआ क्षेत्र, प्राकृतिक झील, जिसे पंपा सरोवर मानते हैं

- डांग जिले के भील आदिवासी खुद को मानते हैं माता शबरी का वंशज

- यहां के बेर दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं, शबरी ने भी राम को खिलाए थे।

राजपरिवार खुद को मानता है शबरी का वंशज

माता शबरी भील राजपरिवार से थीं, आज भी डांग जिले का भील राजपरिवार खुद को माता का वंशज मानता है। कर्नाटक में ऋषि मतंग रहे होंगे, लेकिन माता शबरी यहीं पर उनके आश्रम में रही हैं, संभव है कि ऋषि वहां से चलकर यहां आए हों और आश्रम बनाया हो। इस क्षेत्र में ऋषि शरभंग और माता शबरी से भगवान राम की मुलाकात के प्रमाण हैं।

किशोर गामित, अध्यक्ष, शबरी धाम

एक्सपर्ट व्यू

माता शबरी से मुलाकात डांग के सुबीर गांव में हुई है, इसके तथ्य हैं। यही वजह है कि इसके आसपास कई स्थान भगवान राम से जुड़े हुए हैं, जैसे उन्हई में सीताघोल है। यहां पर माता सीता ने अयोध्या वापसी में स्नान किया था। अनावल वह जगह है जहां पर राम ने यज्ञ किया था और यहां पर वनवासियों को जनेऊ दान में दिए थे, वही वनवासी आज अनाविल ब्राह्मण हैं।

-प्रो. परेश परमार, इतिहासविद