
Why did earthquake happen in Nepal and India: नेपाल में शुक्रवार की देर रात भूकंप आने से लेकर अबतक 157 लोगों की मौत हो चुकी है। वहां भूकंप की तीव्रता 6.4 रही। नेपाल के साथ-साथ बिहार, उत्तर प्रदेश के लोगों ने भी धरती के कंपन को महसूस किया। भूकंप के वजह से धरती के कांपने की घटना नियमित होती जा रही है। आए दिन आप सुबह उठते हैं तो आपको पता चलता है कि दुनिया के किसी न किसी में हिस्से में बीते कल दोपहर में या रात में धरती कांपी थी। भूकंप के चलते रोजाना धरती कांपने की चर्चा से हमारी और आपकी रुह कांप उठती है। पिछले महीने अफगानिस्तान में आए भूकंप के कारण वहां लगभग 4,000 लोग मारे गए। इसी वर्ष तुर्किए में 7.8 तीव्रता वाला भूकंप आया था और 41,000 लोगों की मौत हुई थी। नेपाल में वर्ष 2015 में भूकंप से 9,000 लोग मारे गए थे और 23,000 लोग घायल हुए थे। पिछले महीने के 3 अक्टूबर को एक घंटे के भीतर चार-चार बार भूकंप आया था। इस भूकंप का केंद्र पश्चिमी नेपाल में था। इसका असर भारत के दिल्ली-एनसीआर, बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। अब सवाल यह उठता है कि नेपाल और भारत में भूकंप बार-बार क्यों आते हैं? आइए, भूकंप का पूरा विज्ञान यहां समझने की कोशिश करते हैं...
भूकंप के केंद्र की गहराई क्यों नापते हैं?
हर बार जब भी धरती डोलती है तो तीन बातें खबरों में प्रमुखता से बताई जाती है- 1.भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता, 2. भूकंप का केंद्र कहां था और 3. भूकंप का केंद्र जमीन के कितना नीचे था। शुक्रवार यानी 3 नवंबर 2023 को आए भूकंप का केंद्र जमीन के 10 किलोमीटर अंदर था जबकि 3 अक्टूबर 2023 को आए भूकंप का केंद्र जमीन के 5 किलोमीटर अंदर था। भूकंप भूकंप विज्ञान (Seismology) में भूकंप को दो श्रेणियों में बांटा जाता है- 1. सतही भूकंप और 2. गहरा भूकंप।
क्या होता है सतही और गहरा भूकंप?
सतही भूकंप का केंद्र जमीन के 70 किलोमीटर नीचे तक माना जाता है। इस भूकंप की तीव्रता बहुत तेज होती है और धरती बहुत तेज गति से हिलती है लेकिन इसमें भूकंप के झटके कम दूरी तक महसूस किए जाते हैं। वहीं गहरा भूकंप का केंद्र 70 किलोमीटर से ज्यादा नीचे होता है। ऐसे भूकंप की तीव्रता धरती की सतह पर कम महसूस होती है लेकिन इसे बड़े भूभाग पर महसूस किए जाते हैं। अब आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि जिन भूकंप के केंद्र की गहराई 5-10 किलोमीटर होती है, उसका कितना असर हो सकता है। जाहिर है कि भूकंप का केंद्र जितनी कम गहराई में होगा उसका असर उतना ही ज्यादा होगा। मतलब तबाही ज्यादा होने की संभावना रहती है।
भूकंप विज्ञान कैसे तय करता है तबाही कितनी होगी?
दुनिया में हर साल 20 हजार से ज्यादा भूकंप आते हैं लेकिन क्या हर बार भूकंप तबाही लाते हैं? आपका जवाब ना में होगा। यह सच है कि हर बार भूकंप के झटके तबाही नहीं लाते। दरअसल, भूकंप की तीव्रता मात्र से यह तय नहीं होता कि तबाह बड़ी होगी या छोटी? दरअसल, भूकंप की तीव्रता के साथ उन इलाके के भूभागीय संरचना, पहाड़ों की बनावट और जनसंख्या घनत्व आदि से तय होता है कि कितनी तबाही होगी। कई बार भूकंप के झटके आप महसूस भी नहीं कर पाते क्योंकि इनकी तीव्रता 0 से लेकर 2.9 तक होती है। रिक्टर पैमाने पर 3 से लेकर 3.9 तीव्रता होने पर इंसानों को धरती का कंपन महसूस हो पाता है। 4 से लेकर 4.9 तीव्रता के भूकंप आने पर आपकी घरों के शीशे चटख सकते हैं। दीवार पर टंगी हुई चीजें गिर सकती है। रिक्टर स्केल पर 5 से 5.9 तीव्रता पर घर का फर्नीचर भी हिल सकता है। रिक्टर स्केल पर 7 से लेकर 9 या उससे भी ज्यादा तीव्रता से भूकंप आने पर इमारतें और मजबूत और विशालकाय भवन जमींदोज और जानमाल की भारी क्षति हो सकती है।
क्या भारत में भी आ सकता है बड़ा भूकंप?
भारत में भूवैज्ञानिक बार-बार यह चेतावनी दे रहे हैं कि भारत में फिलहाल छोटे-छोटे भूकंप आ रहे हैं लेकिन इसकी पूरी संभावना है कि यहां बड़ा भूकंप यानी अधिक तीव्रता वाला भूकंप कभी भी आ सकता है। गौरतलब है कि वर्ष 2020 में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (Wadia Institute of Himalayan Geology) ने यह बताया था कि दिल्ली में एक बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है। दिल्ली नगर निगम और भूवैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में अगर 7.8 तीव्रता वाला भूकंप आया तो यहां की 80 फीसदी इमारतें गिर सकती हैं। दरअसल, यहां यह समझना जरूरी होगा कि हिमालय और हिंदकुश पर्वत श्रेणी के चलते बड़े भूकंप के आने की संभावना ज्यादा है। आप यह देखिए कि भारत, नेपाल और पाकिस्तान में जो बड़े भूकंप आए उनके केंद्र हिमालय या आसपास के इलाकों में रहे हैं।
भारत में सबसे बड़ा भूकंप कब आया था?
नेपाल में 2015 में 7.8, 2005 में पाक अधिकृत कश्मीर क्षेत्र मुजफ्फराबाद में 7.6 और 1905 में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। कांगड़ा में भूकंप के चलते 20 हजार लोगों की जान चली गई थी। हिमालय रेंज में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 6 जून 1505 को आया था। हालांकि उस समय भूकंप मापने का कोई तरीका नहीं था। जानमाल की क्षति के आधार पर ही 1505 में आए भूकंप को हिमालय क्षेत्र में आए भूकंपों में सबसे बड़ा बताया जाता है। यह बताया जाता है कि देश का करीब 59 प्रतिशत हिस्सा मध्यम या गंभीर भूकंप की चपेट में आ सकता है।
आपका इलाका किस जोन में पड़ता है?
भूकंप की संभावना के आधार पर इसे अलग-अलग पांच जोन में बांटा गया है। भूकंप के लिहाज से जोन 1 सबसे सुरक्षित माना जाता है और यही वजह है कि इसके क्षेत्र के बारे में कोई चर्चा नहीं की जाती है। इसके बाद जोन 2 पड़ता है। यह भी बेहद कम जोखिम वाले क्षेत्र माने जाते हैं। इसके अन्तर्गत बुलंदशहर, मुरादाबाद, गोरखपुर और त्रिची आते हैं। वहीं जोन 3 में भूकंप का खतरा थोड़ा सा बढ़ जाता है। हालांकि इसे भी मध्यम स्तर का माना जाता है। इस जोन में चेन्नई, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और भुवनेश्वर जैसे कई शहर हैं। भूकंप के लिहाज से जोन 4 खतरनाक माना जाता है। इसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, गंगा के मैदानी इलाके, उत्तरी पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तर बंगाल जैसे क्षेत्र आते हैं।
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Published on:
04 Nov 2023 09:36 am
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