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Explainer: कैसे होती है मतगणना, किस काम आता स्ट्रांग रूम? कौन करता है EVM की पहरेदारी, जानें सबकुछ

EVM Strong Room Security: चुनाव खत्म होने के बाद ईवीएम को सीलबंद करके स्ट्रांग रूम में रखा जाता है और काउंटिंग तक ये वहीं सुरक्षा में रहती हैं।

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Feb 07, 2025

Explainer: दिल्ली विधानसभा चुनाव में डाले गए वोटों की गिनती आज सुबह से जारी है। बता दें कि वोटिंग के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) को सीलबंद करके स्ट्रांग रूम में रखा गया था। दिल्ली में 19 जगहों पर हर एक विधानसभा क्षेत्र के लिए कुल 70 स्ट्रांग रूम बनाए गए हैं। वोटिंग खत्म होने के बाद प्रीसाइडिंग ऑफिसर ईवीएम में वोटों के रिकॉर्ड का परीक्षण करते है। इस दौरान सभी प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट को एक सत्यापित कॉपी सौंपी जाती है। इसके बाद जब सभी ईवीएम को स्ट्रांग रूम सील किया जाता है। प्रत्याशियों के प्रतिनिधि को अपनी तरफ़ से भी सील लगा सकते हैं।

कैसे होगी मतगणना

मतगणना के दिन सुबह तड़के जब स्ट्रॉन्ग रूम का ताला खोला जाता है, तब से वीडियोग्राफी शुरू हो जाती है। इस दौरान उम्मीदवार, रिटर्निंग ऑफिसर, ऑब्जर्वर वहां पर उपस्थित रहते हैं। सीसीटीवी की निगरानी में ईवीएम को मतगणना केंद्र तक जाते है। मतगणना के दिन सुबह 7 के आसपास स्ट्रांग रूम का ताला खोला जाता है। इस दौरान रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर भी वहां मौजूद रहते हैं। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाती है। ताला खोलते समय हर एक उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि वहां पर उपस्थित रहते है।

सुबह 5 बजे से शुरू हो जाती है प्रक्रिया

एजेंट 6 बजे काउंटिंग के लिए तैयार हो जाते हैं। उम्मीदवार सुबह 5 बजे से पहले मतगणना केंद्र पर पहुंचे हैं। मतगणना से जुड़े लोगों को 6 बजे काउंटिंग टेबल तक बैठ जाते है। सुबह 8 बजे मतगणना की शुरुआत होती है। इससे पहले रिटर्निंग ऑफिसर और ARO यानी असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर वोट की गोपनीयता बनाए रखने की शपथ लेते हैं। पॉलिटिकल पार्टी द्वारा मतगणना करने वाले काउंटिंग एजेंट की नियुक्ति करती हैं।

पोस्टल बैलेट से शुरू होती है वोटों की गिनती

मतगणना करने वाले स्टाफ के साथ उम्मीदवार अपने काउंटिंग एजेंट्स के साथ वहां मौजूद रहते हैं। मतदान की शुरुआत सबसे पहले ETPB यानी इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट और फिर पोस्टल बैलेट से होती है। 30 मिनट तक यह प्रक्रिया चलती है। इसके बाद ईवीएम से मतों की गिनती शुरू की जाती है। फिर मतगणना कई राउंड तक चलती है। मतगणना पूरी होने के बाद पूरी होने के बाद उस विधानसभा का डाटा इलेक्शन कमीशन की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपडेट कर दिया जाता है।

स्ट्रॉन्ग रूम में EVM कितनी सुरक्षित

चुनाव आयोग के अनुसार, जिस स्ट्रॉन्ग रूम में वोट रखे जाते हैं, वहां सिर्फ एक दरवाजा होता है। उस कमरे में डबल लॉक सिस्टम होता है, जिसकी एक चाभी इसके इंचार्ज और एक चाभी एडीएम या इससे ऊपर की रैंक के अधिकारी के पास होती है। मतों की सुरक्षा के लिए 24 घंटे CAPF गार्ड तैनात रहते है। इसके अलावा केंद्र से भी सुरक्षा मांगी जा सकती है। कोई भी परिंदा पर न मार सके इसलिए 24 घंटे स्ट्रॉन्ग रूम की सीसीटीवी से निगरानी होती है।

3 लेयर की होती है सुरक्षा

स्ट्रॉन्ग को भेदना बहुत मुश्किल होता है। इसकी सुरक्षा 3 घेरे की होती है। पहले घेरे में 24 घंटे CAPF गार्ड तैनात रहते है। इसके बाद राज्य पुलिस की तैनाती रहती है। तीसरे सुरक्षा चक्र में डिस्ट्रिक्स एग्जीक्यूटिव फोर्स के गार्ड तैनात किए जाते है। काउंटिंग पूरी होने के बाद EVM दोबारा स्ट्रांग रूम में रख दी जाती है। काउंटिंग के 45 दिनों तक ईवीएम को स्ट्रांग में रूम में रहती है। इसके बाद इसे दूसरे स्टोर में शिफ्ट कर दिया जाता है।

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