
कितना जानते हैं आप जांच एजेंसी CBI के बारे में ?
FAQ about CBI : केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) भारतीय सरकार द्वारा स्थापित एक महत्वपूर्ण संगठन है जो भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर आपराधिक मामलों की जांच और न्यायिक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार है। यह भारतीय दण्ड संहिता, 1973 के तहत स्थापित किया गया है। CBI का निर्माण, निर्धारण, और उसके कर्तव्यों के निर्वाह के लिए केन्द्रीय जनसंपर्क और आवास मंत्रालय के अधीन स्थापित किया गया है। CBI अपराधिक जांच के क्षेत्र में अनेक कार्रवाइयों को संचालित करती है, जिनमें विभिन्न आपराधिक मामलों की जांच, गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी, और अन्य सजा प्रक्रियाएं शामिल हैं। CBI के बारे में विवादित मामले भी सामने आते रहे हैं। कुछ लोगों ने इससे अपेक्षाओं और इसकी क्षमताओं पर सवाल उठाए हैं। कई बार इसे विभिन्न उपमाएं जैसे - पिंजरे का तोता, राजनीतिक हत्यारा, दलाल आदि भी दी गईं। इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठते रहे हैं। इसके बावजूद इसका काम बदस्तूर जारी है। आइए जानते हैं ‘यूजर इंटरेस्ट’ के हिसाब से आम जन के मन में CBI और उसकी कार्यप्रणाली को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब -
आगे बढ़ने से पहले यह एक कन्फ्यूजन दूर कर लेते हैं -
अब जानते हैं दोनों में क्या है अंतर
यहां तक आपको समझ आ गया होगा कि दोनों का काम क्या होता है और ये किसके अंडर में काम करती हैं। आइए अब 5 प्वाइंट में समझते हैं इनके बीच के अंतर को -
1 - CBI का वर्कफील्ड पूरा देश होता है, यानी केंद्र सरकार या सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई पूरे देश में जांच कर सकती है।
2 - CID राज्य सरकार की जांच एजेंसी है, इसलिए यह मामले की जांच सिर्फ उस राज्य के अंदर ही कर सकती है।
3 - CBI पर केंद्र सरकार का कंट्रोल होता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह किसी भी मामले की जांच किसी भी देश में कर सकती है।
4 - CBI के पास जो मामले आते हैं, उन्हें केंद्र सरकार या फिर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट इसे सौंपते हैं।
5 - CID को मिलने वाले मामले राज्य सरकार या हाईकोर्ट की ओर से सौंपे जाते हैं।
CBI की कितनी ब्रांचेज हैं?
सीबीआई की वर्तमान में सात ब्रांचेज हैं-
1 - भ्रष्टाचार निरोधक शाखा
2 - आर्थिक अपराध शाखा
3 - विशेष अपराध शाखा
4 - नीतिगत समन्वय शाखा
5 - प्रशासनिक शाखा
6 - अभियोग निदेशालय
7 - केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला
सीबीआई एक वैधानिक निकाय क्यों नहीं है?
सीबीआई एक वैधानिक निकाय नहीं है, यह एक गैर-संवैधानिक निकाय है। यह कार्मिक विभाग, कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीक्षण के अधीन कार्य करता है। यह दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 से जांच करने की शक्ति प्राप्त करता है।
क्या CBI को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जांच का आदेश दे सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट रूप से कह चुका है कि जब वह या हाई कोर्ट यह निर्देश देता है कि एक विशेष मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए, तो डीएसपीई अधिनियम के तहत किसी सहमति (राज्य सरकार की) की आवश्यकता नहीं होगी। इस संबंध में एक ऐतिहासिक निर्णय वर्ष 2010 का सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय था, जिसके द्वारा वर्ष 2001 में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के 11 कार्यकर्ताओं की हत्या की जांच का मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। गौरतलब है कि यदि अदालत (सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट) सीबीआई जांच का आदेश देती है, तो अदालत की यह शक्ति किसी अन्य प्राधिकरण/संस्था की अनुमति पर निर्भर नहीं होती है।
सीबीआई की एफआईआर के बाद क्या होता है?
सीबीआई एफआईआर को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को सौंपती है, यहां कोर्ट को विशेष रूप से केवल सीबीआई मामलों से निपटने के लिए, अवलोकन और रिकॉर्ड के लिए सौंपा जा सकता है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एफआईआर को देखने के बाद जांच अधिकारी यानी जांच अधिकारी से फाइनल फॉर्म में रिपोर्ट मंगवाने का आदेश देते हैं।
सीबीआई पर नाकामी के आरोप लगते रहे हैं…
कन्विक्शन रेट (सजा दर) और जांच के अंदरुनी सिस्टम को लेकर सीबीआई हमेशा सवालों के घेरे में रही है। हाल ही में संसद में सरकार ने बताया था कि पिछले 5 साल में सीबीआई का औसतन सजा दर 70 प्रतिशत है। सवाल उठता है कि इसके बावजूद रेल हादसे की जांच सीबीआई को ही क्यों दी गई है?
इन धाराओं में क्या है सजा का प्रावधान
उल्लेखित सभी धाराओं में अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है। हालांकि, जांच के बाद सीबीआई आपराधिक धाराओं को घटा और बढ़ा भी सकती है।
Updated on:
09 Jun 2023 08:03 am
Published on:
08 Jun 2023 08:16 pm
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