
भारत में पहली बार एक मरीज को बगैर लीड वाला पेसमेकर (Leadless Pacemaker) लगाया गया है। दिल्ली के एक अस्पताल में 74 साल की मरीज में ‘एवीर वीआर’ नाम का यह पेसमेकर इंप्लांट किया गया। इसके लिए न तो सर्जरी की गई और न मरीज के शरीर पर कहीं कट लगाया गया।
पारंपरिक पेसमेकर के मुकाबले बगैर लीड वाला पेसमेकर 90 फीसदी छोटा है। इससे छाती में चीरा लगाने या त्वचा के नीचे किसी बड़े डिवाइस को रखने की जरूरत खत्म हो गई है। इसकी मदद से मरीज का दिल सामान्य तरीके से धडक़ता है। इसकी बैटरी की लाइफ 17 साल है। पेसमेकर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि जरूरत पडऩे पर सुरक्षित हटाया जा सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक यह ट्रांसप्लांट दिल के मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण है। महिला मरीज को पहले लगाए गए पेसमेकर की लीड्स से संक्रमण हो गया था। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था।
अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने पहले महिला मरीज का ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया, ताकि उनकी हालत स्थिर हो सके। पिछले पेसमेकर से नुकसान के कारण उन्होंने लीडलैस पेसमेकर का विकल्प चुना। सिर्फ 15 मिनट में डॉक्टरों ने कैथेटर की मदद से उनके दिल में नया पेसमेकर प्रत्यारोपित कर दिया। इम्प्लांटेशन के कुछ घंटों बाद मरीज चलने-फिरने लगीं।
डॉक्टरों का कहना है कि लीडलैस पेसमेकर हार्ट के मरीजों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। ट्रेडिशनल पेसमेकर में लीड्स हार्ट से जुड़ी होती हैं। इनसे इंफेक्शन, हार्ट वाल्व को नुकसान और दूसरी समस्याएं हो सकती हैं। लीडलैस पेसमेकर सिर्फ पांच ग्राम की चिप है। यह सीधे हार्ट के अंदर रहती है। इससे इंफेक्शन या डिवाइस के हिलने का खतरा नहीं रहता।
Published on:
14 Nov 2024 04:01 pm
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