गीतांजलि श्री का यह उपन्यास हिंदी के जाने माने प्रकाशन राजकमल से आया है। ‘रेत समाधि’ हिंदी की पहली ऐसी कृति है जो अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट और शॉर्ट लिस्ट तक पहुंची और आखिरकार जिसने बुकर पुरस्कार जीत भी लिया। बता दें कि बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट में गीतांजलि श्री की ‘रेत समाधि’ के अलावा 13 अन्य कृतियां भी थीं। ‘रेत समाधि’ गीतांजलि श्री का पांचवां उपन्यास है। पहला उपन्यास ‘माई’ है। इसके बाद उनका उपन्यास ‘हमारा शहर उस बरस’ नब्बे के दशक में आया था। यह उपन्यास सांप्रदायिकता पर केंद्रित संजीदा उपन्यासों में एक है। इसके कुछ साल बाद ‘तिरोहित’ आया। इस उपन्यास की चर्चा हिंदी में स्त्री समलैंगिकता पर लिखे गए पहले उपन्यास के रूप में भी होती रही है। उनके चौथा उपन्यास ‘खाली जगह’ है और कुछ साल पहले ‘रेत समाधि’ प्रकाशित हुआ।
एक माँ की पाकिस्तान यात्रा पर आधारित है उपन्यास उत्तर प्रदेश राज्य के मैनपुरी शहर में जन्मी 64 वर्षीय गीतांजलिश्री 5 उपन्यासों और कई कहानी संग्रहों के लेखक हैं। टॉम्ब ऑफ सैंड ब्रिटेन में प्रकाशित होने वाली उनकी पहली किताब है। ये रेत समाधि नामक शीर्षक के साथ 2018 में हिंदी में प्रकाशित हुई थी। यह एक माँ की परिवर्तनकारी यात्रा पर आधारित है, जो अपने पति की मृत्यु के बाद उदास हो जाती है। वह तब अपनी जन्मभूमि पाकिस्तान की यात्रा करने का फैसला करती है, वहाँ वह उस सदमे का सामना करती है जो अभी तक अनसुलझा हुआ था। यह सदमा उस किशोरी से जुड़ा हुआ था जो विभाजन में वहां से निकलने में सफल हो गई थी। इस उपन्याक के बारे में बात करते हुए गीतांजलि श्री ने पुस्तक के कवर पर लिखा है कि “एक बार जब आपको महिला और एक बोर्डर मिल जाए, तो एक फिर कहानी खुद ही तैयार हो जाती है यहां तक कि महिलाएं भी अपने आप में कहानी के लिए काफी हैं। महिलाएं अपने आप में कहानियां हैं।
अब तक पांच भारतीयों को दिए जा चुके हैं बुकर पुरस्कार बता दें इसके पहले अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार अब तक 5 भारतीय या फिर भारतीय मूल के लेखकों को दिए जा चुके हैं। इन लेखकों के नाम और उनकी रचनाएँ तथा प्रकाशन वर्ष इस प्रकार हैं।
1. वी.एस. नायपॉल, इन ए फ्री स्टेट (1971) 2. सलमान रुश्दी, मिडनाइट्स चिल्ड्रन (1981) 3. अरुंधति रॉय, द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स (1997) 4. किरण देसाई, द इनहेरिटेंस ऑफ़ लॉस (2006)
5. अरविंद अडिगा, द व्हाइट टाइगर (2008)