
Jagdeep Dhankhar: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हो रहे हंगामे के बीच उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने मंगलवार को राज्यसभा के महासचिव को अविश्वास प्रस्ताव दिया। राज्यसभा के 72 वर्ष के इतिहास में किसी सभापति के खिलाफ पहली बार अविश्वास का प्रस्ताव लाया गया है। लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ अब तक तीन बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। हालांकि धनखड़ को पद से हटाने के लिए इस प्रस्ताव को राज्यसभा के साथ लोकसभा में पारित कराना होगा। इसकी संभावना बेहद कम नजर आ रही है, क्योंकि दोनों ही सदनों में एनडीए को पूर्ण बहुमत प्राप्त है। इसके अलावा कुछ दल तटस्थ रह सकते हैं।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है। इस दौरान विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए संविधान के आर्टिकल 67-बी के तहत उन्हें पद से हटाने की मांग को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव पेश कर दिया। यह प्रस्ताव कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी, तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक और सागरिका घोष ने राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा। प्रस्ताव पर आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), झारखंड मुक्ति मोर्चा, डीएमके समेत विपक्षी दलों के करीब 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा कि राज्य सभा के सभापति के अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण इंडिया ब्लॉक के सभी घटक दलों के पास उनके खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इंडिया ब्लॉक की पार्टियों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। विपक्षी पार्टियों को बोलने नहीं दिया जाता। सभापति पक्षपात कर रहे हैं। सोमवार को सत्ता पक्ष के सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया, लेकिन जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे बोल रहे थे, उनको रोका गया।
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की शक्तियों का वर्णन किया गया है। अनुच्छेद 67 बी के मुताबिक राज्यसभा के सदस्यों के बहुमत और लोकसभा की सहमति से उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाया जा सकता है। इसके लिए 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी होता है। 14 दिन के बाद संसद में कभी भी प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग हो सकती है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उपराष्ट्रपति सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकेंगे।
विपक्ष ने भले ही उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया हो, लेकिन राज्यसभा और लोकसभा की अंक गणित इसके पक्ष में नहीं दिख रही है। राज्यसभा में इस समय कुल 231 सदस्य हैं। प्रस्ताव को पारित कराने के लिए कम से कम 116 सदस्यों की जरूरत है। सत्ताधारी एनडीए के पास 121 सदस्य हैं। प्रस्ताव लाने वाले इंडिया ब्लॉक के पास महज 85 सदस्य हैं। वहीं 26 सदस्य किसी भी गठबंधन में नहीं हैं। इस बीच, बीजू जनता दल (बीजेडी) ने प्रस्ताव से किनारा कर इंडिया ब्लॉक को झटका दे दिया है।
विपक्षी सांसदों का कहना है कि उन्हें भी पता है कि यह प्रस्ताव पारित होना आसान नहीं है। इसके बावजूद मजबूरी में इसे लाया गया है। संसद के दोनों सदनों में हमारी बात नहीं सुनी जा रही है। इस प्रस्ताव के लाने के बाद सदन के अध्यक्षों को हमारी बात सुननी पड़ेगी।
राज्यसभा में कुल सदस्य-231
आवश्यक बहुमत-116
एनडीए-कुल 120
दल सदस्य संख्या
भाजपा 95
मनोनीत 6
जेडीयू 4
एनसीपी 3
निर्दलीय 2
अन्य दल 10
दल सदस्य संख्या
कांग्रेस 27
टीएमसी 12
आप 10
डीएमके 10
आरजेडी 5
सीपीएम 4
सपा 4
जेएमएम 3
आइयूएमएल 2
शिवसेना यूबीटी 2
एनसीपी शरद 2
सीपीआई 2
एमडीएमके 1
निर्दलीय 1
कुल सदस्य-26
दल सदस्य संख्या
वायएसआरकांग्रेस 8
बीजेडी 7
बीआरएस 4
एआईडीएमके 4
अन्य 3
Published on:
11 Dec 2024 08:04 am
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
