5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भारतीय तैराक Arati Saha ने तेज लहरों से लड़ते हुए इंग्लिश चैनल किया था पार, हिंदुस्तानी जलपरी को गूगल ने डूडल पर किया याद

भारतीय तैराक आरती साहा (Indian Swimmer Arati Saha) की आज 80वीं जयंती हैं जिसके मौके पर गूगल ने अपने डूडल के जरिए उन्हें याद किया है। आरती साहा ने देश के नाम कई रिकॉर्ड काफी कम उम्र में ही कर लिए थे। जानिए उनके बारे में दिलचस्प बातें...

2 min read
Google source verification

image

Neha Gupta

Sep 24, 2020

Google Doodle remembers Indian Swimmer Arati Saha

Google Doodle remembers Indian Swimmer Arati Saha

नई दिल्ली | करोड़ों महिलाओं की प्रेरणा भारतीय तैराक आरती साहा (Indian Swimmer Arati Saha) को गूगल ने अपने डूडल के जरिए याद किया है। उनकी 80वीं जयंती पर उनके हौसले को सलाम किया गया है। गूगल अपने डूडल (Google Doodle) के जरिए किसी ना किसी को याद करता रहता है। आरती साहा ने कई रूढ़ियों को तोड़ते हुए देश का नाम रोशन किया था। साहा को साल 1960 में पद्म श्री (Padma Shri) से सम्मानित किया गया था। ये सम्मान पाने वाली वो देश की पहली महिला थी। साहा का जन्म 24 सितंबर, 1940 को कोलकाता में हुआ था। साहा ने बचपन में ही हुगली नदी के चम्पाताला घाट में तैरना सीख लिया था। बेटी की तैराकी में रुची देखते हुए उनके पिता ने आरती का दाखिला स्वीमिंग क्लब में करवा दिया।

पांच साल की उम्र में आरती साहा (Arati Saha) को उनके कोच सर्वश्रेष्ठ प्रतिस्पर्धी तैराकों में से एक सचिन नाग के रूप में मिले। आरती ने 11 साल की उम्र में ही तैराकी के कई सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। 1946 में उन्होंने अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद 12 साल की उम्र में आरती ने फिनलैंड में समर ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। यहां भले ही आरती ने कोई पदक नहीं जीता था लेकिन सबसे कम उम्र की महिलाओं में वो शामिल थी जो किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं थी। 18 साल की उम्र में आरती ने वो करने का सोचा जो हर किसी के बस की बात नहीं। उऩ्होंने इंग्लिश चैनल को पार करने का मन बनाया। इंग्लिश चैनल (English Channel) दक्षिण इंग्लैंड और उत्तरी फ़्रांस को अलग करता है और नॉर्थ सी को एटलांटिक महासागर से जोड़ता है। इसके ठंडे तापमान और तैराकी में आने वाली मुश्किलों के कारण इसे 'स्विमिंग का माउंट एवरेस्ट' कहा जाता है। कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग के बाद आरती अपने पहले प्रयास में पानी की तेज लहरों के चलते असफल हो गई थी। इस रेस में उन्होंने 1959 में 58 प्रतिभागियों के साथ भाग लिया था।

आरती ने दूसरी बार फिर से प्रयास किया और 16 घंटे तक तेज लहरों से जूझते हुए उन्होंने अपनी यात्रा पूरी की थी और तट पर पहुंचकर भारत का तिरंगा लहराया था। आरती साहा ऐसी करने वाली ऐशिया की पहली महिला थी। गूगल ने अपने डूडल में भी इसी इंग्लिश चैनल को पार करते हुए आरती को दिखाया है।