बता दें कि सरकार इन सोशल मीडिया और दूसरे डिजिटल प्लेटफॉर्म को लेकर बेहद सतर्क है। इसके चलते ही पिछले कुछ महीनों में सरकार ने आईटी नियमों में बड़े स्तर पर बदलाव किए थे, जिसका लोग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी विरोध कर रहे थे। अब सरकार की तरफ से नए आईटी नियमों लेकर उठ रहे सवालों के जवाब दिए गए हैं।
केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया कि नए नियमों को बनाने का इरादा किसी भी तरह से एन्क्रिप्शन को तोड़ना या फिर कमजोर करना बिल्कुल नहीं है। हम सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि कोई वायरल फेक न्यूज कहां से भेजी गई है। इसका इरादा सिर्फ प्रेषक के पंजीकरण विवरण को प्राप्त करना है। नए नियमों में यह सबसे बड़ी चिंता की बात थी कि वॉट्सऐप जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म में संदेश के पहले प्रवर्तक का पता लगने से एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के नियमों को तोड़ सकता है।
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बताया गया कि मैसेज चाहे वो टेक्स्ट हो, फोटो हो या फिर वीडियो इसके प्रवर्तक का पता लगाने के लिए नियम के साथ एक वैध आदेश के साथ एजेंसी के साथ साझा की जाएगी। नए नियम के तहत यह कहा गया कि अगर सेंडर और रिसीवर के बीच मध्यस्थ को अपने उपयोगकर्ता को यह बताना है कि किसी विशेष प्रकार की सामग्री को उसकी शर्तों के अतिरिक्त अपलोड या साझा नहीं करना है तो उसके पास पर्याप्त क्षमता होनी चाहिए।बता दें कि बीते कुछ महीनों में भारत के कई हिस्सों में सोशल मीडिया पर फेक मैसेज की वजह से हिंसा हुई। इनमें से कुछ लोगों को बच्चा चोर होने के शक में पीटकर मार डाला गया। वहीं कई लोग मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए। सरकार का कहना है कि नए आईटी नियम इस तरह की घटनाओं को कम करेंगे। साथ ही ऐसे मैसेजों को फैलाने वालों लोगों को पकड़ा जाएगा और उनपर सख्त कार्रवाई होगी।