
AI जनरेटेड प्रतीकात्मक तस्वीर
अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन एक वयस्क आदमी को कम से कम तीन लीटर पानी की जरूरत होती है, लेकिन आप जानते हैं कि एआइ चैटबॉट पर एक सवाल पूछने पर आम तौर पर आधा लीटर पानी खर्च हो जाता है।
चैटबॉट पर बातचीत लंबी चली तो कई लीटर पानी खर्च हो जाता है। अब पानी की यही खपत बड़ी समस्या बन रही है। दुनिया की बड़ी आबादी को अभी भी पीने का पानी बमुश्किल मिल पाता है। वहीं एआइ पर हर साल अरबों लीटर पानी खर्च हो रहा है।
एक अध्ययन में सामने आया है कि एक साल में पूरी दुनिया में जितना बोतल बंद पानी पीया जाता है। उतना ही पानी सिर्फ एआइ व क्लाउड स्पेस को संचालित करने वाले सर्वर व डेटा सेंटरों को ठंडा रखने में खर्च हो जाता है। यह चौंकाने वाली जानकारी एक डच अकाडमिक एलेक्स डी व्रीस-गाओ के नेतृत्व में हुए अध्ययन में सामने आई है।
एलेक्स डी व्रीस- गाओ ने अपनी टीम के साथ डेटा सेंटर के कार्बन और पानी के फुटप्रिंट्स और एआइ के लिए इसके मायने नाम से अध्ययन किया है। इसके अनुसार एआइ और क्लाउड स्पेस के लिए डेटा सेंटरों का उपयोग होता है।
इन सेंटरों पर सालाना करीब 450 अरब लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। यह पानी डेटा सेंटरों को ठंडा रखने के दौरान वाष्पीकृत हो जाता है। इतना ही बोतलबंद पानी पूरी दुनिया में हर साल लोग पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
जेनरेटिव एआइ टूल्स को पावर देने वाले डेटा सेंटरों में हाई परफार्मेस सर्वर काम करते हैं तो भारी मात्रा में गर्मी पैदा होती है। इन मशीनों को ठंडा रखने के लिए कूलिंग टॉवर का उपयोग होता है।
अमरीका के थर्मोइलेक्ट्रिक प्लांट में प्रति किलोवॉट प्रति घंटा 43.9 लीटर पानी की खपत होती है। वहीं आम तौर पर पानी की खपत 9 लीटर प्रति किलोवॉट प्रति घंटा है।
अध्ययन से पता चला है कि एआइ से जुड़े सर्वरों और डेटा सेंटरों पर 2027 तक 6.6 अरब घन मीटर (6.6 ट्रिलियन लीटर) पानी की खपत होगी।
वहीं सॉफ्टवेयर और सोशल मीडिया से जुड़ी कंपनियां जैसे माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और मेटा ने पानी की खपत को कम करने पर ध्यान देना शुरू किया है। उन्होंने वॉटर पॉजिटिव (पानी खर्च करेंगे उससे ज्यादा वापस करेंगे) का संकल्प लिया है।
Published on:
26 Dec 2025 07:50 am
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