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आनंद मोहन की रिहाई: दिवंगत DM की पत्नी-बेटी की गुहार- PM और राष्ट्रपति दें दखल, उधर ओवैसी गरजे- ये दूसरी बार कृष्णैया की हत्या

Anand Mohan Singh Release: बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर सियासी माहौल गरमाया हुआ है। IAS लॉबी के साथ-साथ दिवंगत डीएम जी. कृष्णैया की पत्नी और बेटी का बयान भी सामने आया है। इधर एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आनंद मोहन की रिहाई के बहाने बिहार सरकार पर करारा हमला बोला है।  

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G Krisnaiah Wife, Daughter and Anand Mohan Singh

Anand Mohan Singh Release: IAS अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर सवाल उठ रहे हैं। बिहार सरकार ने नियम में बदलाव कर आनंद मोहन को कैद से आजाद किया, इसपर दिवंगत डीएम के परिजन, आईएएस लॉबी और कुछ राजनीतिक दल भी नीतीश-तेजस्वी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। दूसरी ओर बिहार सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि आनंद मोहन की रिहाई पर कानून के तहत की गई। इसमें कुछ गलत नहीं है। आनंद मोहन की रिहाई पर जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से दकल देने की गुहार लगाई है। दूसरी ओर एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मामले में बिहार सरकार पर करारा प्रहार किया है।


आनंद मोहन की रिहाई पर क्या बोलीं जी. कृष्णैया की पत्नी


आनंद मोहन की रिहाई पर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने कहा- "मैं राष्ट्रपति और पीएम से इस मामले में हस्तक्षेप करने और सीएम नीतीश कुमार से उन्हें (आनंद मोहन) वापस जेल भेजने की अपील करती हूं। आनंद मोहन की रिहाई पर जनता विरोध कर रही है। इसके बाद भी उनकी रिहाई कर दी गई।


'आनंद मोहन की रिहाई से अधिकारियों का मनोबल टूटेगा'


उमा देवी ने सवाल उठाते हुए कहा, "कानून के तहत वह जेल में गए थे तो फिर कानून के तहत बाहर कैसे हो गए? पॉलिटिकल इश्यू के कारण उन्हें बाहर किया गया है। बिहार की जनता ऐसे व्यक्ति को कभी वोट न दें। आनंद मोहन की रिहाई से अधिकारियों का मनोबल टूटेगा। किसी भी अधिकारी का मन काम करने में नहीं लगेगा।"


जी. कृष्णैया की बेटी बोलीं- हम फैसले के खिलाफ अपील करेंगे


दूसरी ओर आनंद मोहन की रिहाई पर जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने कहा, "उनका जेल से छूटना हमारे लिए बहुत दुख की बात है। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। मैं अनुरोध करती हूं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस फैसले पर दोबारा विचार करें। इस फैसले से उनकी सरकार ने एक गलत मिसाल कायम की है। यह सिर्फ एक परिवार के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अन्याय है। हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।"

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उठाए कई सवाल

इधर आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कई सवाल उठाए। ओवैसी ने आनंद मोहन की रिहाई को आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की दूसरी हत्या करार दिया। ओवैसी ने पूछा कि क्या उस समय लालू यादव की सरकार नहीं थी? क्या उन्होंने उनकी पत्नी से मुलाक़ात नहीं की थी। अब कौन सा आईएएस अधिकारी बिहार में जान जोखिम में डालेगा?

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मजदूरी कर की पढ़ाई, बने IAS, मात्र 37 साल की उम्र में हत्या

जी. कृष्णैया की हत्या की घटना को याद करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 5 दिसंबर 1994 को एक दलित आईएएस की हत्या की गई। तब वह महज 37 साल के थे। कृष्णैया ने मजदूरी कर पढ़ाई की थी। ओवैसी ने कहा कि वह कृष्णैया के परिवार के साथ हैं और ये भी उम्मीद करते हैं कि एक बार फिर इस मामले को लेकर सोचा जाएगा।

क्या फिर से सनलाइट और रणवीर सेना आने वाली है?

1990 के दशक में बिहार में जातीय अपराध चरम पर था। सवर्ण जातियों की ओर से रणवीर सेना, सनलाइट जैसे गुट थे तो दूसरी ओर भाकपा माओवादी से संबंधित संगठन। इस दौर में बिहार में नरसंहार की कई घटनाएं हुई। आनंद मोहन की रिहाई पर ओवैसी ने उस दौर को याद करते हुए कहा कि क्या एक बार फिर बिहार में सनलाइट या रणवीर सेना आने वाली है क्या?

बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई का भी उठाया मुद्दा

ओवैसी ने आनंद मोहन की रिहाई को सियासी फायदे के लिए उठाया गया कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे पहले गुजरात की बीजेपी सरकार ने बिलकिस के साथ रेप करने वालों को रिहा किया था अब बिहार सरकार ने एक और दोषी को रिहा कर दिया है। ये कौन सा सामाजिक न्याय है। जब बिलकिस बानो के साथ रेप करने वाले दोषियों को छोड़ा गया था तब बीजेपी का कोई भी नेता उनके विरोध में नहीं था।


गुरुवार सुबह जेल से रिहा हुए आनंद मोहन


बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन को गुरुवार (27 अप्रैल) की सुबह-सुबह जेल से रिहा किया गया। वो जी. कृष्णैया की हत्या मामले में 16 साल से जेल में बंद थे। जी. कृष्णैया की हत्या पांच दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर कर की गई थी।

आरोप है कि उस भीड़ को आनंद मोहन नेतृत्व कर रहे थे। 2008 में पटना हाई कोर्ट ने आनंद मोहन को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। अब बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में संशोधन किया है और आनंद मोहन सहित कुल 27 कैदियों को रिहा कर दिया गया है। जिसके बाद आज सुबह उन्हें सहरसा जेल से रिहा किया गया। हालांकि सरकार के इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।

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