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‘कुछ किसानों को जेल में डालने से जाएगा सही संदेश’, Supreme Court ने Farmers के लिए ऐसा क्यों कहा

पीठ ने कहा कि अगर कुछ किसानों को जेल में डाला जाएगा तो इससे सही संदेश जाएग। आप किसानों के लिए कुछ दंडात्मक प्रावधानों के बारे में क्यों नहीं सोचते।

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भारत

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Ashib Khan

Sep 17, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने मामले में की टिप्पणी (Photo-IANS)

Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई हुई। वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ किसानों को जेल में डालने से दूसरों को सबक मिलेगा और पराली जलाने की आदत पर लगाम मिलेगा। कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई की।

‘जेल में डालने से जाएगा सही संदेश’

याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि अगर कुछ किसानों को जेल में डाला जाएगा तो इससे सही संदेश जाएगा। आप किसानों के लिए कुछ दंडात्मक प्रावधानों के बारे में क्यों नहीं सोचते, अगर पर्यावरण संरक्षण का आपका सचमुच इरादा है, तो फिर पीछे क्यों हट रहे हैं?

‘छोटे किसानों के परिवारों का क्या होगा’

सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा- पहले भी कई किसानों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन इसमें ज्यादातर छोटे किसान थे। अगर उन्हें जेल भेज दिया तो उनके परिवारों का क्या होगा? इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट नियमित गिरफ्तारी की बात नहीं कर रही, बल्कि सिर्फ इतना चाहती है कि एक सख्त संदेश जाए, जिससे पराली जलाने की घटनाएं कम हों और ऐसा करने वाले लोगों के मन में जेल जाने का डर हो। 

‘किसानों की बदौलत ही खाना खाते हैं’

CJI ने कहा कि मैंने अखबारों में पढ़ा था कि पराली का इस्तेमाल जैव ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है। हम इसे पांच साल की प्रक्रिया नहीं बना सकते। किसान विशेष हैं और हम उनकी बदौलत ही खाना खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते।

सर्दियों में दिल्ली-NCR में जहरीली हवा का बरपाता है कहर

बता दें कि हर साल दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवा का कहर बरपाता है। इस दौरान पटाखों के अलावा, पराली जलाना भी प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। वहीं पराली जलाने पर टिप्पणी करने के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को तीन महीने के भीतर सभी रिक्तियों को भरने का भी निर्देश दिया।