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आपके बच्चे को है फोन की लत! बिगाड़ रही है मेंटल और फिजिकल हेल्थ, दिमाग के इन हिस्सों पर होता है बड़ा असर

हाल ही जारी न्यूरोइमेजिंग शोध के अुनसार कोविड के बाद बच्चे स्मार्टफोन, टैब और टीवी पर गेम खेलने में ज्यादा समय बिता रहे हैं, जिससे उनके सोचने समझने की क्षमता पर प्रभाव पड़ रहा है।

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कोविड महामारी के बाद स्क्रीनटाइम बढऩे से बच्चों के विकास पर विपरीत असर पड़ा है। 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास सबसे ज्यादा अवरुद्ध हुआ है, क्योंकि बच्चों में सीखने, समझने का ज्यादातर विकास 12 वर्ष की आयु तक होता है। हाल ही जारी न्यूरोइमेजिंग शोध के अनुसार कोविड के बाद बच्चे स्मार्टफोन, टैब और टीवी पर गेम खेलने में ज्यादा समय बिता रहे हैं, जिससे उनके सोचने समझने की क्षमता पर प्रभाव पड़ रहा है। इस शोध में बच्चों पर डिजिटल टेक्नोलॉजी के प्रभाव को जानने के लिए 30 हजार बच्चों पर न्यूरोइमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया। हालांकि शोधकर्ताओं ने स्क्रीन टाइम को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं, लेकिन अभिाभावकों से बच्चों की डिजिटल गतिविधियों पर नजर रखने का आग्रह किया है।


दिमाग के इन हिस्सों पर होता है असर

- प्री फ्रंटल कॉर्टेक्स :
शोध के मुताबिक ज्यादा स्क्रीन टाइम का असर प्री फ्रंटल कॉर्टेक्स पर होता है, जो जानकारी, सोच, स्मृति, शोध और प्लानिंग में सक्रिय भूमिका निभाता है।
- पार्श्विका लोब : यह स्पर्श, ठंडा-गर्म और दर्द का अहसास कराता है।
- टेम्पोरल लोब : स्मृति, श्रवण और भाषायी ज्ञान करवाता है।
- ओक्सिपिटल लोब: दृश्य जानकारी की व्याख्या में मददगार।

सही इस्तेमाल पर सीखने की क्षमता में वृद्धि

डिजिटल गैजेट पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों का ध्यान के साथ नियंत्रण पर फोकस कम हो रहा है, जबकि ज्यादा स्क्रीन टाइम से भाषा और संज्ञानात्मक नियंत्रण पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसके अलावा टैबलेट व वीडियो गेमिंग से बच्चों की क्रिटिकल थिंकिंग के साथ आइक्यू लेवल भी प्रभावित होता है। हालांकि रिसर्च में यह भी पाया गया है कि समयबद्ध और नियंत्रित ढंग से इस्तेमाल करने पर टेक्नोलॉजी के जरिए बच्चों में ध्यान और सीखने की क्षमता बढ़ती है, इससे प्लानिंग और निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है।

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बच्चों को ध्यान में रखकर नीतियां बनाएं

शोध के प्रमुख लेखक हांगकांग शिक्षा विश्वविद्यालय के डॉ. डंडन वू कहते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षक और अभिभावक को ध्यान देना चाहिए कि डिजिटल डिवाइस बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में उन्हें बच्चों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभानी चाहिए। वू कहते हैं, नीति निर्माताओं के लिए जरूरी है कि वे ऐसी नीतियां बनाएं, जिससे बच्चों को डिजिटल क्रांति के अनचाहे संक्रमण से बचाया जा सके।

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