देश इस बार स्वतंत्रता दिवस () पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसका लाइव प्रसारण भी शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाने के लिए मार्च 2021 में गुजरात के साबरमती
आश्रम अहमदाबाद से आजादी का अमृत महोत्सव शुरू किया था। यह समारोह वर्ष 2023 तक चलेगा।
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दरअसल, भारत में अमृत महोत्सव शब्द का इस्तेमाल काफी पहले से होता आ रहा है। जैसे- 1995 में स्वामी नारायण संप्रदाय के प्रमुख जब 75 साल के हुए, तो दुनियाभर में इस समुदाय ने 37 दिन का अमृत महोत्सव मनाया। मुंबई में तो इसके लिए विशेष आयोजन भी हुआ था। वैसे, किसी चीज के 75 साल पूरे होने पर या 75वीं जयंती पर अमृत महोत्सव मनाने के दूसरे और भी उदाहरण हैं। अमृत महोत्सव में सीधे तौर पर आपत्तिजनक कुछ नहीं है। ज्यादातर मामलों में यह शब्दावली धार्मिक संगठनों और आयोजनों से ही जुड़ी रहती है। अन्य आयोजनों में इसका इस्तेमाल सुनाई या दिखाई नहीं देता।
देश में जयंती शब्द तब लोकप्रिय हुआ, जब सिनेमाघरों में हिट फिल्मों का दौर हुआ करता था। कुछ फिल्में रजत जयंती मनाती थीं और कुछ की स्वर्ण जयंती भी होती थी। कुछ खास फिल्में हीरक जयंती और उससे आगे भी पहुंच जाती थी। मगर अमृत महोत्सव कभी सुनाई नहीं दिया। जैसे- शोले फिल्म के 75 हफ्ते पूरे होने पर भी देशभर में कहीं अमृत महोत्सव नहीं मनाया गया। मगर इस बार भारत की आजादी के 75वें सालगिरह को अमृत महोत्सव के तौर पर ही मनाया जा रहा है।
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हालांकि, आजादी की 75वीं वर्षगांठ वर्ष 2022 में होगी, लेकिन इसके कार्यक्रम वर्ष 2023 तक चलेंगे यानी देश अगले दो साल तक अमृत महोत्सव मनाता रहेगा। खासतौर पर, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे अवसर भारत में राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाए जाते हैं। माना यह जाता है सभी समुदाय, धर्म और वर्ग इसे धूमधाम से मनाते हैं, इसलिए इन्हें किसी धार्मिक प्रतीक से नहीं जोड़ा जाता।