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वक्फ कानून पर तिलमिलाए पाकिस्तान को भारत का करारा जवाब, फिर नहीं उठाएगा सवाल!

भारत का यह जवाब न केवल पाकिस्तान को सबक सिखाने वाला है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी संप्रभुता और आत्मविश्वास को भी दिखाता है।

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भारत

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Anish Shekhar

Apr 16, 2025

भारत ने संशोधित वक्फ कानून को लेकर पाकिस्तान की आलोचना को पूरी तरह खारिज कर दिया है, इसे निराधार और हस्तक्षेपकारी करार दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, "पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों और संप्रभु विधायी प्रक्रियाओं पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।" उन्होंने पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए उसके अल्पसंख्यकों के प्रति खराब रिकॉर्ड की याद दिलाई, जिसमें हिंदू, सिख और ईसाई समुदायों के साथ भेदभाव और अत्याचार के मामले शामिल हैं। जायसवाल ने स्पष्ट किया कि वक्फ कानून में संशोधन का उद्देश्य प्रशासनिक पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देना है, न कि किसी समुदाय को निशाना बनाना। यह जवाब इतना तीखा था कि पाकिस्तान को भविष्य में ऐसे सवाल उठाने से पहले सौ बार सोचना पड़ेगा।

पाकिस्तान ने वक्फ कानून संशोधन को लेकर दावा किया था कि यह मुस्लिम समुदाय को उनकी संपत्तियों, जैसे मस्जिदों और दरगाहों, से वंचित करने और अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेलने की साजिश है। इस बयान को भारत ने न केवल आधारहीन बताया, बल्कि इसे पाकिस्तान की अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश भी करार दिया। भारत ने दोहराया कि उसकी संवैधानिक प्रक्रियाएं सभी समुदायों के कल्याण और समानता के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसका विश्व समुदाय भी सम्मान करता है।

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अन्य देशों की प्रतिक्रिया

संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका ने इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाया। विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस तरह के मुद्दों पर टिप्पणी करना उचित नहीं है, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर दोनों देशों को संवाद बनाए रखना चाहिए।

बांग्लादेश: बांग्लादेश ने भारत के संशोधित वक्फ कानून पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, लेकिन ढाका में कुछ विश्लेषकों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया और पाकिस्तान की आलोचना को अनावश्यक हस्तक्षेप करार दिया।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। माना जा रहा है कि भारत के साथ मजबूत कूटनीतिक और आर्थिक रिश्तों के चलते वह इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता।

यूनाइटेड किंगडम: यूके ने भारत की संप्रभुता का सम्मान करते हुए कहा कि किसी भी देश की विधायी प्रक्रिया उसका आंतरिक मामला है। हालांकि, कुछ ब्रिटिश एनजीओ ने इस मुद्दे को लेकर अल्पसंख्यक अधिकारों पर चर्चा की मांग उठाई।

चीन: चीन ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जो उसकी सामान्य नीति के अनुरूप है, जिसमें वह भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय विवादों में हस्तक्षेप से बचता है, खासकर जब उसका कोई सीधा हित शामिल न हो।