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ईरान (Iran) के अंडरग्राउंड परमाणु ठिकानों (Nuclear Site) पर अमेरिकी (America) हमले के बाद भारत (India) भी बंकर बस्टर बम (Bunker Buster Bomb) बनाने की तैयारियों में जुट गया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद (डीआरडीओ) इस परियोजना में तेजी लाएगा। गौरतलब है कि भारत के साथ तीन पूर्ण युद्ध लड़ चुका और हाल ही ऑपरेशन सिंदूर में पिट चुके पाकिस्तान के परमाणु हथियार भी पहाड़ियों के नीचे रखे जाने की बात सामने आती रही है।
अमेरिका ने ईरान पर बंकरतोड़ बम बी2 स्टील्थ बॉम्बर्स से बरसाए थे, लेकिन इसके विपरीत भारत का अपना बम अग्नि मिसाइल पर वारहेड के रूप में ले जाया जाएगा। भारत मिसाइल-आधारित डिलीवरी सिस्टम का विकल्प चुन रहा है। इससे लागत कम होगी और परिचालन आसान होगा।
डीआरडीओ अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) का संशोधित संस्करण विकसित कर रहा है जो पारंपरिक हथियार होगा और 7500 किलो भारी बंकर-बस्टर वारहेड ले जाने में सक्षम होगा। यह वारहेड विस्फोट से पहले 80 से 100 मीटर भूमिगत घुसकर मार करेगा। इन वारहेड्स की रेंज मूल अग्नि-5 की 5,000 किलोमीटर रेंज की तुलना में 2,500 किलोमीटर तक सीमित होने की उम्मीद है क्योंकि उनका वजन अधिक है। यह ध्वनि की रफ्तार से आठ से बीस गुना तेजी से हमला करेगी।
अमेरिका ने ईरान के नातांज, फोर्डो और इस्फहान जैसे तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। इस हमले में अमेरिका ने अपने सबसे घातक हथियारों में से एक – बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया। दावा है कि अमेरिका के B-2 स्टील्थ बॉम्बर विमानों से करीब 13,600 किलोग्राम (करीब दो हाथियों जितना) वजनी बम गिराए गए।
बंकर बस्टर बम का असली नाम है – GBU-57A/B Massive Ordnance Penetrator (MOP)। इसका वजन करीब 30,000 पाउंड (लगभग 14 हजार किलोग्राम) होता है। इसमें 6 हजार पाउंड विस्फोटक भरा होता है। इसकी ताकत इतनी होती है कि यह 60 फीट मोटी कंक्रीट की दीवार को भेद सकता है और 200 फीट तक गहराई में जाकर धमाका कर सकता है।
Published on:
01 Jul 2025 09:07 am
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