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कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान के नए कानून पर भारत को आपत्ति, कहा- पुनर्विचार के लिए कोई तंत्र नहीं

Published: Nov 18, 2021 09:37:15 pm

Submitted by:

Nitin Singh

कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान द्वारा बनाए गए नए कानून पर भारत ने सवाल उठाए हैं। भारत का कहना है कि नए कानून में अपील करने का अधिकार तो दिया गया है, लेकिन पुनर्विचार के लिए कोई तंत्र नहीं है।
 

India objected to Pakistan's new law in Kulbhushan Jadhav case

India objected to Pakistan’s new law in Kulbhushan Jadhav case

नई दिल्ली। जासूसी के कथित आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान ने हाल ही में एक कानून बनाया है। वहीं भारत ने इस कानून पर सवाल उठाए गए हैं। दरअसल, इस कानून में कुलभूषण को सैन्य अदालत से मिली सजा के खिलाफ उच्च अदालतों में अपील करने का अधिकार दिया गया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने अध्यादेश के जरिए जाधव के मामले की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार के लिए कोई तंत्र नहीं बनाया है, जबकि इंटरनेशन कोर्ट के पहले के फैसले के तहत यह अनिवार्य है।
विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी
बता दें कि पाकिस्तान की संसद में हाल ही में एक अध्यादेश पारित हुआ है। इस कानून के तहत कुलभूषण को सैन्य अदालत से मिली मौत की सजा के खिलाफ उच्च अदालतों में अपील करने का अधिकार दिया गया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस संबंध में जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि यह कानून केवल पिछले अध्यादेश की कमियों को संहिताबद्ध करता है।
भारत को नए कानून से आपत्ति
पाकिस्तान के इस नए कानून पर भारत का कहना है कि यह कानून अभी भी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करता है। भारत चाहता है कि पाकिस्तान इंटरनेशन कोर्ट के फैसले में लिखे एक-एक शब्द का पालन करे। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा और पुनर्विचार) विधेयक, 2021 का उद्देश्य आईसीजे के फैसले के तहत दायित्व को पूरा करना है। भारत की ओर से कहा जा रहा है कि जाधव के मामले में पाकिस्तान बिना किसी रोक-टोक के काउंसलर पहुंच से इनकार करता रहा है और और वैसा महौल बनाने में विफल रहा है, जिसमें निष्पक्ष सुनवाई की जा सके।
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गौरतलब है कि पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को देश के बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था। पाकिस्तान का कहना है कि कुलभूषण पाकिस्तान में भारत के लिए जासूसी कर रहे थे। वहीं सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोपों के चलते कुलभूषण को मौत की सजा सुना दी थी। इसके साथ ही उन्हें इसके खिलाफ अपील करने का अधिकार नहीं था।
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