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भारत ने किया अग्नि-4 बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण, 4000 किलोमीटर तक वार करने सक्षम

भारत ने सोमवार को ओडिशा के ए पी जे अब्दुल कलाम द्वीप से मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल का सफल परीक्षण देश की सैन्य क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतीक है।

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भारत ने  किया अग्नि-4 बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण, 4000 किलोमीटर तक वार करने सक्षम

भारत ने किया अग्नि-4 बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण, 4000 किलोमीटर तक वार करने सक्षम

भारत ने परमाणु हमले में सक्षम अग्नि-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। देश की स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (SFC) ने इंटरमीडिएट रेंज मिसाइल अग्नि-4 का यह परीक्षण सोमवार शाम 7:30 बजे किया। इस मिसाइल का परीक्षण ट्रेनिंग लॉन्च के तहत किया गया है। रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस दौरान इसके सभी मापदंड़ों की परख की गई साथ ही प्रणाली को भी जांचा गया। यह लॉन्च स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमांड के अंतर्गत रूटीन यूजर ट्रेनिंग का हिस्सा था।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अग्नि-4 का सफल परीक्षण भारत की "विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता" की नीति की पुष्टि करता है। अग्नि-4 की मारक क्षमता 4000 किलोमीटर है यानी की यह मिसाइल है चार हजार किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। इस प्रक्षेपण ने सभी परिचालन मापदंडों के साथ-साथ रक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को भी मान्यता प्रदान किया है। मिसाइल ने सभी मानकों को पूरा करते हुए टारगेट पर सटीकता से निशाना साधा। इस दौरान मिसाइल की तकनीकी, हमलावर टेक्नीक, नेविगेशन आदि मानकों की जांच की गई।

परमाणु क्षमता वाली अग्नि- IV बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि सीरीज के चौथे पीढ़ी की मिसाइल है। इसका वजन 17000 किलो है, और लंबाई 20 मीटर है। इसमें विस्फोटक के रूप में रणनीतिक परमाणु हथियार भी ले जाने की क्षमता है। ये 900 किलोमीटर तक उड़ान भर सकती है। इसमें कई आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं, इसमें रिंग लेजर गाइरो इनर्शियल नेवीगेशन सिस्टम भी लगाए गए हैं। इसका निर्माण भारत डायनमिक्स लिमिटेड ने किया है।

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इस मिसाइल का सफल परीक्षण देश की सैन्य क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतीक है। बात करें SFC की तो यह देश के परमाणु हथियारों को संभालने वाली ट्राई-सर्विस यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना की साझा कमान है जो सीधे PMO के अधीन है। DRDO द्वारा विकसित किए गए अग्नि-4 बैलेस्टिक मिसाइल को भारत के पूर्वोत्तर भाग से लांच कर चीन की मुख्य भूमि के किसी भी हिस्से को टारगेट किया जा सकता है।

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