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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत खरीदेगा और S-400, पुतिन की इंडिया यात्रा में हो सकती है डील

S-400 Defense System: दिसंबर में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई दिल्ली यात्रा के दौरान रूस निर्मित एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की अतिरिक्त खेप भारत को मिल सकती है।

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S-400 Defense System

S-400 डिफेंस सिस्टम (Photo-ANI)

S-400 Defense System: भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन सिंदूर में रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद भारत अतिरिक्त यूनिट्स खरीदने पर विचार कर रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्तावित डील दिसंबर 2025 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान चर्चा में आ सकती है। 2018 के 5 अरब डॉलर के मूल समझौते में पांच यूनिट्स शामिल थे, जिनमें से तीन डिलीवर हो चुकी हैं। अमेरिकी चेतावनियों के बावजूद भारत ने डील को आगे बढ़ाया था।

ऑपरेशन सिंदूर: S-400 की ताकत का प्रमाण

ऑपरेशन सिंदूर में S-400 ने दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम कर भारत की हवाई सीमा की मजबूती साबित की। इस सफलता ने भारत को और यूनिट्स की जरूरत महसूस कराई। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, यह स्पष्ट है कि S-400 ने अच्छा प्रदर्शन किया। इसलिए और ऐसी प्रणालियों की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा, यह एक अच्छी हथियार प्रणाली साबित हुई है। हम अपनी खुद की प्रणाली भी विकसित कर रहे हैं, इसलिए इस पर फैसला लेंगे। एपी सिंह ने अतिरिक्त खरीद की योजनाओं पर खुलासा करने से इनकार किया, लेकिन घरेलू विकास पर जोर दिया।

हवाई खतरों को भेदने में सक्षम

S-400 ट्रायम्फ सिस्टम लंबी दूरी की मिसाइलों से हवाई खतरों को भेदने में सक्षम है। भारत ने 2018 में यह डील साइन की, लेकिन अमेरिका ने CAATSA (काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट) के तहत प्रतिबंधों की धमकी दी। तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बावजूद भारत ने रूस से डिलीवरी ली। अब ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने भारत को अपग्रेड की ओर धकेल दिया है, जिसमें S-500 जैसी नई प्रणाली भी शामिल हो सकती है।

पुतिन यात्रा: रक्षा सहयोग का नया अध्याय

पुतिन की प्रस्तावित दिसंबर यात्रा भारत-रूस रक्षा संबंधों को मजबूत करने का अवसर बनेगी। दोनों देशों के बीच रक्षा निर्यात 2024 में 50% बढ़ा, जिसमें S-400 प्रमुख रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि अतिरिक्त यूनिट्स की डील न केवल भारत की रक्षा क्षमता बढ़ाएगी, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में रूस के साथ साझेदारी को मजबूत करेगी। यूक्रेन संकट और अमेरिकी दबाव के बीच यह कदम भारत की रणनीतिक स्वायत्तता दर्शाता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं की, लेकिन स्रोतों के अनुसार, अतिरिक्त यूनिट्स की खरीद पर बातचीत तेज हो गई है।