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भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. शिवकुमार की पुस्तक ‘कैंसर एक शब्द है आकार नहीं’ पाठकों को दिखाएगी रोशनी

न्यूजीलैंड में रह रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉक्टर शिवकुमार ने 'कैंसर एक शब्द है आकार नहीं' पुस्तक लिखी है। इस किताब का 27 सितंबर को ऑकलैंड स्थित महात्मा गाँधी सेंटर में विदेश राज्य मन्त्री डॉक्टर राजकुमार रंजन सिंह द्वारा विमोचन किया गया।

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Indian-origin scientist Dr. Shivakumar

Indian-origin scientist Dr. Shivakumar

न्यूजीलैंड में रह रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉक्टर शिवकुमार ने 'कैंसर एक शब्द है आकार नहीं' पुस्तक लिखी है। इस किताब का 27 सितंबर को ऑकलैंड स्थित महात्मा गाँधी सेंटर में विदेश राज्य मन्त्री डॉक्टर राजकुमार रंजन सिंह द्वारा विमोचन किया गया। यह पुस्तक न्यूजीलैंड मे रह रहे हिन्दी भाषी भारतीय मूल के निवासियों को फ्री में दी जाएगी। यह पुस्तक कैंसर जैसे गूढ़ विषय पर बहुत रोचक ढंग से लिखी गई है। जाहिर सी बात है कि इस किताब का लाभ दुनिया भर के पाठकों को मिलेगा।


क्यों पढ़नी चाहिए शिवकुमार की यह किताब

आप सभी जानते हैं कि दुनिया भर में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में भी पिछले कुछ सालों में कैंसर के मामलों में काफी तेजी आई है। कैंसर ना केवल लोगों के स्वास्थ्य को खराब कर रही बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ को भी खोखली बनाने का काम रही है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि 2025 तक कैंसर के केसों में 12.7 की वृद्धि हो सकती है। ऐसे में डॉ. शिवकुमार की किताब पाठकों का मार्गदर्शन का काम करेगी।

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डराते हैं कैंसर के ये आंकड़े

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कैंसर के अनुमानित केस 2020 में 13.92 लाख (लगभग 14 लाख) थे, जो 2021 में बढ़कर 14.26 लाख हो गए। वहीं बीते साल 2022 में बढ़कर 14.61 लाख पर पहुंच गए थे।

इसके तेजी से पांव पसारने की ये है वजह

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में हृदय रोग और सांस की बीमारियों से ज्यादा कैंसर के मामलों में वृद्धि हो रही है। कैंसर के बढ़ते प्रसार के लिए कई तरह फैक्टर्स जिम्मेदार हैं जिसमें बढ़ती उम्र, जीवनशैली में बदलाव, व्यायाम और पौष्टिक आहार की कमी शामिल है। इसके अलावा धूम्रपान, तंबाकू और शराब का सेवन, मोटापा, शरीर में पोषक तत्वों और फिजिकल एक्टिविटी की कमी कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में मानी जाती है। कैंसर अब शहर तो छोड़िए गांवों में भी लोगों को अपना शिकार बना रही है। ऐसे विकट समय में डॉ. शिवकुमार की किताब रोशनी दिखाने का काम करेगी।