रेलवे खुद, हैदराबाद के सिकंदराबाद में फुल स्पीड से दो ट्रेनों की टक्कर करवाने जा रहा है। इसमें दो ट्रेनें पूरी रफ्तार के साथ विपरीत दिशा से एक दूसरे की तरफ बढ़ेंगी। इनमें से एक ट्रेन में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार होंगे, तो दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन मौजूद रहेंगे।
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लेकिन ‘कवच’ के कारण ये दोनों ट्रेन टकराएंगी नहीं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर सिस्टम के परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए सिकंदराबाद पहुंचेंगे।
कई वर्षों के शोध के बाद तैयार हुई तकनीक
रेल मंत्रालय ने वर्षों के शोध के बाद यह तकनीक विकसित की है। ‘कवच’ को रेलवे की ओर से दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
दरअसल रेलवे अधिकारियों के मुताबिक ‘कवच’ के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख रुपए प्रति किलोमीटर आएगा, जबकि वैश्विक स्तर पर इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर करीब दो करोड़ रुपए है।
‘जीरो एक्सीडेंट’ लक्ष्य
रेलवे की ओर से विकसित की गई इस तकनीक का मकसद अपने ‘जीरो एक्सीडेंट’ के लक्ष्य को प्राप्त करना है। इसमें रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया है।
दरअसल ‘कवच’ को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक देगा, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी।
ये होगा फायदा
रेलवे की कवच डिजिटल प्रणाली दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने में कारगर साबित हो सकती है। इस तकनीक की वजह से मानवीय त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन स्वत: रुक जाएगी। ऐसे में एक्सीडेंट की संभावना ना के बराबर होगी।
यहां लगेगा पहला कवच सिस्टम ‘कवच’ प्रणाली में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का उपयोग किया जाता है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल-4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है। एक बार इस प्रणाली की शुरुआत हो जाने पर पांच किमी की सीमा के अंदर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जाएंगी।
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