
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे अवैध प्रवासियों के आंकड़े जुटाना संभव नहीं है क्योंकि अवैध प्रवासी बिना दस्तावेज के गुप-चुप तरीके से देश में दाखिल होते हैं। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 17 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर आंकड़े जुटाने में असमर्थता जताई। नागरिकता कानून की धारा 6ए असम में अवैध प्रवासियों से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
अब तक 17,861 लोगों को दी गई नागरिकता
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार ने बताया कि इस प्रावधान के तहत अब तक 17,861 लोगों को नागरिकता दी गई है। विदेशी ट्रिब्यूनल के आदेशों के तहत साल 1966-1971 के बीच 32,381 लोगों की बतौर विदेशी पहचान की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को केंद्र सरकार ने पूछा था कि देश में 1 जनवरी, 1966 से लेकर 25 मार्च, 1971 तक कितने बांग्लादेशी नागरिकों को असम में भारतीय नागरिकता दी गई।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा
सरकार से अवैध घुसपैठ रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी पूछा था। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि अवैध प्रवासियों का पता लगाना, उन्हें हिरासत में लेना और उन्हें उनके देश भेजना एक जटिल प्रक्रिया है। ऐसे में देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे अवैध प्रवासियों के आंकड़ा जुटाना संभव नहीं है। सरकार ने कहा कि सीमा पर पेट्रोलिंग और अन्य तरीकों से घुसपैठ को रोकने की कोशिशें जारी हैं। इसके साथ ही सीमा पर फेंसिंग भी की जा रही है।
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कोर्ट को यह भी बताया
- 14,346 विदेशियों को 2017 से 2022 के बीच उनके देश वापस भेजा गया।
- 100 विदेशी ट्रिब्युनल असम में काम कर रहे हैं।
- 3.34 लाख से मामले 31 अक्टूबर, 2023 तक निस्तारित किए।
- 97,714 मामले 31 अक्टूबर तक विदेशी ट्रिब्युनल में लंंबित है।
- 8,461 मामले फॉरेन ट्रिब्युनल के आदेश से संबंधित गुवाहाटी हाईकोर्ट में लंबित हैं।
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Published on:
13 Dec 2023 08:50 am
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