
खैबर पख्तूनख्वा में ठिकाना बना रहे हैं जैश और हिजबुल (Photo-IANS)
Operation Sindoor: भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ बड़े आतंकी अड्डों को ध्वस्त करने के बाद जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे पाकिस्तान प्रायोजित संगठन अपने ठिकानों को खैबर पख्तूनख्वा (केजीपीके) में स्थानांतरित करने लगे हैं। खुफिया सूत्रों और उपलब्ध वीडियो से पुष्टि हुई है कि पीओके को असुरक्षित मानते हुए ये गुट अफगान सीमा की निकटता, भौगोलिक गहराई और पुरानी जिहादी पनाहगाहों का फायदा उठा रहे हैं। यह प्रक्रिया पाकिस्तानी राज्य संरचनाओं की प्रत्यक्ष सहायता से हो रही है।
14 सितंबर 2025 को भारत-पाक क्रिकेट मैच से सात घंटे पहले, केजीपीके के गढ़ी हबीबुल्लाह में जेईएम ने जेयूआई (जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम) के सहयोग से बड़ा भर्ती अभियान चलाया। ‘धार्मिक जलसे’ के नाम पर आयोजित इस सभा को जेईएम के केजीपीके व कश्मीर प्रभारी मौलाना मुफ्ती मसूद इलियास कश्मीरी उर्फ अबू मोहम्मद ने संबोधित किया। भारत का वांछित आतंकी कश्मीरी ने 30 मिनट तक ओसामा बिन लादेन की प्रशंसा की, उसे ‘शोहदा-ए-इस्लाम’ व ‘प्रिंस ऑफ अरब’ कहा तथा जेईएम की विचारधारा को अल-कायदा से जोड़ा।
उन्होंने कंधार हाईजैक (1999) के बाद मसूद अजहर की रिहाई का जिक्र कर बालाकोट को जेईएम का गढ़ बताया। मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए अजहर के परिवारजनों का हवाला देते हुए पाकिस्तानी सेना व सरकार को ‘जिहाद का साझेदार’ करार दिया। सभा में जेईएम आतंकी एम-4 राइफलों से लैस थे, जबकि स्थानीय पुलिस, खासकर गढ़ी हबीबुल्लाह थाने के इंस्पेक्टर लियाकत शाह, उनकी सुरक्षा में तैनात थे। सूत्रों के अनुसार, यह अभियान मनसेहरा के जेईएम मरकज ‘शुहदा-ए-इस्लाम’ में नई भर्ती के लिए था, जहां प्रशिक्षण ढांचा तेजी से विस्तारित हो रहा है।
खुफिया इनपुट बताते हैं कि जेईएम 25 सितंबर को पेशावर के मरकज शहीद मकसूदाबाद में बड़ा कार्यक्रम आयोजित करेगा। यह मसूद अजहर के भाई यूसुफ अजहर (ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया) की याद में होगा। कार्यक्रम जेईएम के नए नाम ‘अल-मुराबितून’ (इस्लाम की भूमि के रक्षक) के तहत होगा, ताकि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचा जा सके।
हिजबुल मुजाहिद्दीन भी लोअर दिर के बांदाई इलाके में ‘एचएम 313’ नामक नया कैंप बना रहा है। पूर्व पाकिस्तानी कमांडो खालिद खान की अगुवाई में यह केंद्र कश्मीर घुसपैठ व वैश्विक जिहादी नेटवर्क से जुड़ने के लिए तैयार हो रहा है। ‘313’ गजवा-ए-बदर व अल-कायदा की ब्रिगेड 313 का संदर्भ देता है। जमीन अगस्त 2024 में खरीदी गई थी, और ऑपरेशन सिंदूर के बाद निर्माण तेज हुआ।
पीओके के रावलकोट में जन्मे कश्मीरी ने 2001 में जेईएम जॉइन किया। 2001-06 तक अफगानिस्तान में नाटो के खिलाफ लड़े। 2007 में लौटकर ‘शुहदा-ए-कश्मीर’ प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया। 2018 के जम्मू सुंजवान आर्मी कैंप हमले के मास्टरमाइंड हैं। 2019 में लश्कर-जैश के संयुक्त ‘हिलाल-उल-हक ब्रिगेड’ (कवर: पीपुल्स एंटी फासीस्ट फ्रंट) का नेतृत्व संभाला। अब जेईएम व फ्रंट दोनों चला रहे हैं, जिससे पाक की प्रॉक्सी वॉर मशीनरी मजबूत हो रही है।
आतंकी पीओके को आगे की घुसपैठ का अड्डा रखेंगे, जबकि केजीपीके को रियर कमांड जोन बनाएंगे। पाक पुलिस व सेना की मिलीभगत उजागर हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत, अमेरिका व वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है, क्योंकि कश्मीरी ने भारत के साथ अमेरिका व इजराइल को भी निशाना बनाया है। पाक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंक-विरोधी दिखता है, लेकिन अंदरूनी संरक्षण जारी रखे हुए है। यह घटनाक्रम पाक की आतंक को राजनीतिक हथियार बनाने की रणनीति को दर्शाता है।
Updated on:
19 Sept 2025 09:15 pm
Published on:
19 Sept 2025 09:02 pm
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