
Farooq Abdullah
Farooq Abdullah On BJP : मुहर्रम के अवसर पर देशभर के शिया मुसलमानों ने जगह-जगह ताजिया जुलूस निकाला और हजरत इमाम हुसैन के बलिदान को याद किया। यह दिन पैगम्बर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके सहयोगियों के शहीद होने का प्रतीक है, जिन्होंने करबला में सत्य, न्याय और सच्चाई के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। कश्मीर घाटी में करीब 34 साल के बाद बिना प्रतिबंध के मुहर्रम का जुलूस निकाला गया। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सहित कई नेता जुलूस में शामिल हुए। वहीं, नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है।
फारूक अब्दुल्ला ने बीजेपी पर साधा निशाना
जम्मू-कश्मीर की फिजा अब पूरी तरह से बदल चुकी है। यहां पर युवाओं को पढ़ाई के सााि रोजगार के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। श्रीनगर में तीन दशक से ज्यादा समय के अंतराल के बाद निकाले गए मुहर्रम के जुलूस को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बीजेपी पर निशाना साधा। नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक ने कहा कि मुहर्रम का जुलूस निकलने से मुस्लिमों का वोट पा लेनी की बीजेपी की मंशा पूरी नहीं होगी।
'मुहर्रम के जुलूस से नहीं मिलेंगे मुस्लिमों के वोट'
नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला जदीबल श्रीनगर में मोहर्रम जुलूस में शामिल हुए थे। फारूक अबदुल्ला ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि मुहर्रम का जुलुस जम्मू कश्मीर में कई वर्षों बाद निकला है। इससे पहले जब में जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री था तब ऐसा मुहर्रम का जुलुस निकलता था। लेकिन बीजेपी के कार्यकाल में यह जुलुस निकलने से बीजेपी को क्या लगता है की मुस्लिमों के वोट मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी की यह मंशा कभी पूरी नहीं होगी। साथ ही कहा कि बीजेपी ने देश में साम्प्रदायिक माहौल बना दिया है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कर्बला के शहीदों को नमन
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि सरकार शिया समुदाय की भावना का सम्मान करती है। एक बयान में एलजी के हवाले से कहा कि मैं कर्बला के शहीदों को नमन करता हूं और हजरत इमाम हुसैन (एएस) के बलिदान और उनके आदर्शों को याद करता हूं।
34 साल बाद मिली जुलूस की अनुमति
आपको बता दें कि 34 साल के प्रतिबंध के बाद हजारों शिया मातमदारों को पारंपरिक गुरु बाजार-डलगेट मार्ग के माध्यम से 8वीं मुहर्रम जुलूस निकालने की अनुमति दी गई थी। 1989 में कश्मीर में अधिकारियों की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद 34 वर्षों में पहली बार गुरुवार को जुलूस आयोजित किया गया।
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Published on:
29 Jul 2023 06:36 pm
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