
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर ( Jammu Kashmir ) में हो रही टारगेट किलिंग ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। अल्पसंख्यकों को चुन चुन कर दहशतगर्त मार रहे हैं। यही वजह है कि घाटी कि फिजा में एक बार फिर डर का माहौल है। हालांकि सरकार और सेना दोनों ही इन आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी आतंकियों की नापाक हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
हाल में आतंकियों ने एक स्कूल में घुसकर शिक्षकों को अपनी गंदी सोच का शिकार बनाया। टीचरों के आईडी देखे और उन्हें मुस्लिम ना होने की सजा मिली। इन आतंकियों ने प्रिंसिपल से उसका आईडी मांगा जैसे देखा कि ये कश्मीरी पंड़ित है उसे मौत के घाट उतार दिया। लेकिन इन दहशतगर्तों को नहीं पता था कि वो जिसे हिंदू समझकर मौत की नींद सुला रहे हैं, वो उनमें से ही किसी एक अनाथ का खर्च उठा रही थी।
एक सप्ताह पहले एक सरकारी स्कूल में आतंकवादियों द्वारा प्रिंसिपल सुपिन्दर कौर से उनका धर्म पूछने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिससे परिवार शोक में डूबा हुआ है और अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य अपनी सुरक्षा को लेकर डरे हुए हैं।
इसी हमले में दीपक चंद भी मारे गए थे। इस हमले में मारी गई प्रिंसिपल कौर काफी नेक दिन इंसान थीं, वे अपने पड़ोस में रहने वाली अनाथ मुस्लिम लड़की की पढ़ाई का खर्च उठाती थीं।
झेलम तट पर उनके दो मंजिला घर में, दोस्तों की ओर से एक बैनर लगाया गया है जो 46 वर्षीय स्कूल प्रिंसिपल की जिंदगी को देखते हुए, एक उपयुक्त श्रद्धांजलि देता है।
बैनर में लिखा है, 'एक मुस्लिम अनाथ लड़की ने अपनी सिख गॉडमदर खो दी है।" कौर अपनी कमाई का एक हिस्सा पड़ोस की एक मुस्लिम अनाथ लड़की के कल्याण के लिए खर्च कर रही थी। उन्होंने एक स्कूल हेल्पर की भी आर्थिक मदद की, जिसका शहर के एक अस्पताल में डायलिसिस चल रहा था।
सुपिन्दर के सक्रिय सामाजिक कार्यों के बाद भी उनके पति नहीं चाहते कि ये बात सबको पता चले। वे कहते हैं कि यह हमारे लिए या उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी। वह कभी भी इसे बड़ा नहीं बनाना चाहती थी।
Published on:
15 Oct 2021 01:17 pm
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